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सांकेतिक इमेज ( Photo Credit : News nation)
नो-फ्लाइंग जोन शब्द कई लोगों के लिए परिचित हो सकता है, पर इनका वास्तविक अर्थ और महत्व अक्सर अनदेखा रह जाता है। दुनियाभर में विभिन्न क्षेत्रों को विविध कारणों से नो-फ्लाइंग जोन घोषित किया जाता है, जिसका मतलब है उन क्षेत्रों में हवाई जहाजों और हेलीकॉप्टरों का उड़ान भरना प्रतिबंधित होता है। इन प्रतिबंधों के पीछे कई उद्देश्य हो सकते हैं, जिन्हें हम मोटे तौर पर चार मुख्य श्रेणियों में बाँट सकते हैं. नो-फ्लाइंग जोन के बारे में कई लोग असमंजस में रहते हैं. उसी कंफ्यूजन को क्लियर करने की कोशिश आर्टिकल के माध्यम से की गई है.
1. सैन्य संघर्ष: युद्ध के दौरान, सैन्य बल अक्सर दुश्मन के विमानों को अपने हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए नो-फ्लाइंग जोन स्थापित करते हैं। इसका उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा करना, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बचाना और युद्ध के मैदान में संतुलन बनाए रखना होता है। उदाहरण के लिए, 2011 में लीबिया में गृहयुद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र ने लीबिया के ऊपर एक नो-फ्लाइंग जोन लागू किया था। यह निर्णय विवादास्पद रहा, परंतु इसने नागरिकों की हताहतों को कम करने में भूमिका निभाई।
2. नागरिक अशांति: कभी-कभी, नागरिक अशांति वाले क्षेत्रों में नो-फ्लाइंग जोन स्थापित किए जाते हैं। इसका मकसद विद्रोहियों या अन्य विपक्षी समूहों को हवाई मार्ग से हथियार या सैनिकों की आपूर्ति रोकना होता है। 2011 में यमन में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान वहां भी नो-फ्लाइंग जोन पर विचार किया गया था, मगर बाद में इसे लागू नहीं किया गया।
3. पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरणीय कारणों से भी कुछ क्षेत्रों को नो-फ्लाइंग जोन घोषित किया जा सकता है। इसका उद्देश्य संवेदनशील वन्यजीव आवासों, प्रवासी पक्षियों के मार्गों या वायु प्रदूषण को कम करने वाले क्षेत्रों की रक्षा करना होता है। अंटार्कटिका को 1959 में एक अंतरराष्ट्रीय संधि द्वारा नो-फ्लाइंग जोन घोषित किया गया था, जिसका उद्देश्य इस महाद्वीप के अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करना है।
4. राष्ट्रीय सुरक्षा: कुछ देश राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से भी अपने कुछ क्षेत्रों को नो-फ्लाइंग जोन घोषित कर देते हैं। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका ने राष्ट्रपति के निवास, कैम्प डेविड सहित कुछ क्षेत्रों के ऊपर नो-फ्लाइंग जोन स्थापित किए हैं। इसी तरह, कई देशों के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के आसपास भी नो-फ्लाइंग जोन लागू होते हैं।
नो-फ्लाइंग जोन को लागू करना और बनाए रखना एक जटिल और महंगा काम हो सकता है। साथ ही, इनका उल्लंघन करने वालों के प्रति प्रतिक्रिया अक्सर विवादास्पद होती है। फिर भी, विभिन्न परिस्थितियों में नो-फ्लाइंग जोन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, चाहे वह नागरिकों की सुरक्षा करना हो, पर्यावरण की रक्षा करना हो या राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना हो।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह सूची व्यापक है और अलग-अलग नो-फ्लाइंग जोन की स्थापना के पीछे और भी कई कारण हो सकते हैं। हर एक परिस्थिति की अपनी विशिष्टता होती है, और नो-फ्लाइंग जोन को लागू करने का निर्णय जटिल राजनीतिक और कूटनीतिक विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाता है।
Source : News Nation Bureau