कर्नाटक में 38 बंदरों को बोरे में बंद कर पीटा... फिर जहर दिया गया

अखिल कर्नाटक प्राण दया संघ के सचिव सुनील दुगारे ने जानवरों को जहर देने वाले दोषियों की जानकारी देने वाले को 20,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की है.

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Nihar Saxena
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हिंदू रीति-रिवाज से किया गया बंदरों का अंतिम संस्कार.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

 
यह घटना किसी भी संवेदनशील शख्स को हिला देने के लिए काफी है. कर्नाटक में कुछ अज्ञात लोगों ने बोनट मैकाक प्रजाति के बंदरों के एक समूह को जहर देकर मार दिया. इस लोमहर्षक घटना में 38 मैकाक प्रजाति के बंदरों की मौत हो गई, जबकि एक बंदर की उपचार के बाद जान बचाई जा सकी. पता चला है कि बंदरों को जहर देने से पहले बोरे में बंद कर बुरी तरह से पीटा भी गया था. घटना सामने आने पर फिल्म अभिनेता और पशु प्रेमी रणदीप हुड्डा समेत कई बुद्धिजीवियों ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा. घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्वतःसंज्ञान लेकर जनहित याचिका पर कार्यवाही शुरू करने का आदेश भी दिया है. 

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बुधवार देर रात की घटना
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मैकाक प्रदाति के बंदरों के शव बुधवार रात करीब 9.30 से 10.30 के बीच कर्नाटक के हासन जिले के बेलूर तालुक के अरेहली होबली के चौडेनहल्ली में एक सड़क पर पाए गए. घटना का पता तब चला जब चौडेनहल्ली के एक ग्राम पंचायत सदस्य तेजस ने एक अकेले बंदर को बोरे के पास बैठे देखा. बोरी खोली गई तो बोनट मैकाक के बड़े पैमाने पर शव पाए गए. घटना की जानकारी मिलते ही पशु कल्याण संगठन अखिल कर्नाटक प्राण दया संघ के सदस्य मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य में जुट गए. अखिल कर्नाटक प्राण दया संघ के सचिव सुनील दुगारे ने जानवरों को जहर देने वाले दोषियों की जानकारी देने वाले को 20,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की है.

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने लिया स्वतः संज्ञान
बंदरों के साथ की गई इस क्रूरता की खबरें छपने पर कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका, जस्टिस एनएस संजय गौड़ा की पीठ ने इस खबर को परेशान करने वाला बताते हुए इस मामले में रजिस्ट्रार जनरल को स्वत: जनहित याचिका दर्ज करने का आदेश दिया. इस मामले में जिला प्रशासन के साथ-साथ वन विभाग और पशु कल्याण बोर्ड को भी प्रतिवादी बनाया जा रहा है.

हिंदू रीति-रिवाजों से किया गया अंतिम संस्कार
हासन के उप वन संरक्षक बसवराज ने बताया कि उन्हें संदेह था कि बेलूर तालुक के बाहर के लोगों ने बंदरों की हत्या की थी. बेलूर में बंदरों के खतरे की कोई रिपोर्ट नहीं थी. बसवराज ने कहा कि बोनट मैकाक वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची -2 के अंतर्गत आते हैं. खबर पाकर चौडेनहल्ली के ग्रामीणों ने वन अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अगर वन अधिकारी और पशु चिकित्सक मौके पर पहुंचे होते तो संभावना थी कि कुछ बोनट मैकाक बच सकते थे. चौडेनहल्ली के स्थानीय लोगों ने गुरुवार को मिलकर हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार बंदरों का अंतिम संस्कार कर दिया है. हालांकि मामला अभी भी बेहद संवेदनशील बना हुआ है. 

HIGHLIGHTS

  • बोनट मैकाक प्रजाति के थे सभी बंदर, जो परिवार की तरह रहते हैं
  • अज्ञात लोगों ने पहले बोरों में बंद कर पीटा फिर जहर देकर मार दिया
  • बंदरों संग क्रूरता पर हाई कोर्ट समेत फिल्म अभिनेता भी सकते में
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