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Street Dogs
No Street Dogs: देश में इन दिनों आवारा कुत्तों को लेकर चर्चाएं बढ़ गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने के आदेश दिए हैं. फैसला आते ही देशभर में बहस शुरू हो गई है. देश दो धड़ में बंट गया है. एक पक्ष का कगना है कि ये सही फैसला है और दूसरे धड़े का कहना है कि ये ठीक नहीं है. जानवरों के साथ क्रूरता है. इस बीच हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताने वाले हैं, जहां आवारा कुत्ते न के बराबर हैं. लेकिन कैसे आइये जानते हैं….
No Street Dogs: पहले समृद्धि और शान का प्रतीक थे डॉग्स
इस यूनिक देश का नाम है- नीदरलैंड्स. नीदरलैंड्स भी कभी आवारा कुत्तों और रेबीज के मामलों से परेशान था. लेकिन आज वहां की सड़कों पर आवारा कुत्ते नहीं दिखते. उन्होंने इसके लिए अभियान चलाया. एक वक्त पर नीदरलैंड्स ऐसा देश था, जहां कुत्तों को समृद्धि और शान का प्रतीक माना जाता था. रईस लोग अपने घरों में कुत्ता पालना बहुत पसंद करते थे. हालांकि, 19वीं सदी में रेबीज की बीमारी नीदरलैंड्स में बढ़ गई और महामारी जैसा रूप ले ली.
No Street Dogs: सरकार ने अपनाए ये उपाय
लोगों ने उस वक्त पालतू कुत्तों को रोड पर छोड़ दिया. शुरुआत में कुत्तों को मारकर समस्या खत्म करने की कोशिश हुई लेकिन इसका फायदा नहीं हुआ तो सरकार ने नया उपाय सोचा. सरकार ने सबसे पहले पालतू कुत्तों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया. बाहर से खरीदे जाने वाले कुत्तों पर भारी टैक्स लगाया, जिससे लोग शेल्टर होम्स से डॉग्स को एडॉप्ट कर सकें. सरकार ने फिर लोगों को मोटिवेट किया कि वे आवारा कुत्तों को पालतू बनाएं. सरकार ने एनजीओ की मदद से हजारों आवारा कुत्तों को एडॉप्ट करवाया.
No Street Dogs: पशु क्रूरता के खिलाफ सरकार ने भारी भरकम दंड वसूला
सरकार ने मीडिया और स्कूलों की मदद से एनिमल वेल्फेयर के मैसेज जनता तक पहुंचाया. नीदरलैंड्स की सरकार ने इसके बाद पशु क्रूरता के खिलाफ भारी-भरकम दंड लगाए. इस वजह से धीरे-धीरे नीदरलैंड्स से आवारा कुत्तों की समस्या घटने लगी. सरकार की इन्हीं कोशिशों ने नीदरलैंड्स को आवारा कुत्तों से मुक्त कर दिया.