Lost Indian Rivers: भारत की ये नदियां सिर्फ किताबों में ही मिलती हैं, इस नदी का नाम तो किसी ने सुना भी नहीं होगा

Lost Indian Rivers: जानिए, भारत की उन नदियों के बारे में जिनका जिक्र सिर्फ और सिर्फ किताबों में ही मिलता है. असलियत में नदी दिखाई नहीं देती है.

Lost Indian Rivers: जानिए, भारत की उन नदियों के बारे में जिनका जिक्र सिर्फ और सिर्फ किताबों में ही मिलता है. असलियत में नदी दिखाई नहीं देती है.

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Jalaj Kumar Mishra
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List of Lost Indian Rivers like Saraswati River Falgu River and Drishadvati River

Lost Indian Rivers

Lost Indian Rivers: भारत में नदियों का इतिहास बहुत ही पुराना है. भारत की कई नदियां ऐसी है, जिनके बारे में लोगों को प्राचीन ग्रंथों, पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक कहानियों में जिक्र भी मिलता है. भारत में करीब 200 नदियां बहती थीं. गंगा. यमुना, कावेरी, गोदावरी और नर्मदा सहित कई नदियां भारत में प्रमुख हैं. ये नदियां भारत के अधिकांश इलाकों को उपजाऊ बनाती हैं. हालांकि, अब देश की कई नदियां ऐसी हैं, जो अब सूख चुकी हैं या फिर भूमिगत हो गईं हैं. 

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आज हम आपको देश की उन नदियों के बारे में बताएंगे, जिनका जिक्र आपको किताबों में तो मिलता है, लेकिन वर्तमान में वे पूर्ण रूप से सूख गईं हैं या फिर अस्तित्व में ही नहीं है. 

सरस्वती नदी 

सरस्वती नदी का जिक्र ऋग्वेद और महाभारत में एक पवित्र नदी के रूप में किया गया है. लेकिन ये नदी अब गायब हो गई है. सरस्वती नदी भारत की सबसे प्रसिद्ध नदियों में से एक हैं. सरस्वती नदी त्रिवेणी संगम की तीसरी नदी है. लेकिन प्रयागराज में अब सिर्फ गंगा और यमुना जी ही दिखाई देती हैं. 

फल्गु नदी

बिहार के गया में मौजूद फल्गु नदी को पूजनीय माना गया है. पिंडदान में इसका बहुत महत्व है. कहा जाता है कि फल्गु नदी के तट पर पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को सबसे अच्छी गतिविधियों से मोक्ष की प्राप्ती होती है. लेकिन नदी में कभी भी पानी नहीं रहता है. कहा जाता है कि नदी धरती के अंदर है, इसलिए लोग बालू हटाकर पानी निकालते हैं. रामायाण काल में भी इसका जिक्र मिलता है, कहा जाता है कि माता सीता के श्राप से नदी सूख गई है. 

दृषद्वती नदी

 दृषद्वती नदी एक ऐसी नदी है, जिसके बारे में शायद ही किसे ने सुना होगा. लेकिन महाभारत सहित अन्य प्राचीन ग्रंथों में इसका जिक्र मिलता है. इसे प्राचीन कुरुक्षेत्र की एक अहम नदी माना जाता है, जो सरस्वती के साथ बहती थी. वर्तमान में ये नदी भी फल्गु और सरस्वती की तरह पूरे तरीके से सूख गई है. सिर्फ ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं में ही इस नदी का जिक्र मिलता है. नदी का कोई भी फिजिकल एविडेंस नहीं मिला है.

 

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