हम अक्सर फिल्मों और कहानियों में सपेरों को बीन बजाते और सांप को नाचते हुए देखते हैं. इतना ही नहीं, कई बार यह भी दिखाया जाता है कि सांप द्वारा काटे गए व्यक्ति को बचाने के लिए सपेरा बीन बजाता है और सांप वापस आकर जहर चूस लेता है. लेकिन क्या यह सब सच है? क्या सांप वास्तव में बीन की धुन पर नाचते हैं या यह सिर्फ एक वहम है? इन सवालों का जवाब खरगोन, मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध स्नेक कैचर और सांप विशेषज्ञ महादेव पटेल ने दिया.
सांप के कान नहीं होते
महादेव पटेल एक मीडिया चैनल से बात करते हुए बताया कि, यह धारणा कि सांप बीन की धुन पर नाचते हैं, पूरी तरह गलत है. सांपों के कान नहीं होते, इसलिए वे किसी भी प्रकार की आवाज सुनने में सक्षम नहीं होते हैं. तो सवाल उठता है कि फिर वे बीन की तरफ आकर्षित क्यों होते हैं?
सांप के लहराने का असली कारण
महादेव बताते हैं कि सांप बीन से निकलने वाली ध्वनि को नहीं, बल्कि उससे उत्पन्न होने वाले वाइब्रेशन को महसूस करते हैं. जब सपेरा बीन बजाते हुए उसे इधर-उधर घुमाता है, तो सांप सपेरे के मूवमेंट का वॉट करते हैं. यह देखने में ऐसा लगता है मानो सांप बीन की धुन पर नाच रहा हो, लेकिन वास्तव में वह सपेरे की हरकतों पर प्रतिक्रिया दे रहा होता है.
सांप द्वारा जहर चूसने का मिथक
महादेव पटेल ने इस बात को भी सिरे से खारिज किया कि सांप काटने के बाद अपना जहर चूस सकता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि एक बार सांप का जहर शरीर में प्रवेश कर जाए तो उसे चूसकर निकालना संभव नहीं है. अगर किसी व्यक्ति को सांप काट ले, तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता की जरूरत होती है. समय पर सही इलाज से ही उसकी जान बचाई जा सकती है.
जागरूकता का महत्व
यह समझना जरूरी है कि सांपों से जुड़ी ऐसी कहानियां और मिथक केवल मनोरंजन के लिए बनाए गए हैं. असल जीवन में इन बातों पर यकीन करना न केवल खतरनाक है, बल्कि समय पर इलाज में देरी का कारण भी बन सकता है. महादेव पटेल की यह जानकारी हमें न केवल सांपों के बारे में सही तथ्य समझने में मदद करती है, बल्कि सांपों के प्रति हमारे नजरिए को भी बदलती है.
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