नियुक्ति परीक्षाओं के रिजल्ट लंबित रखने के विरोध में रांची में जेपीएससी दफ्तर के समक्ष युवाओं का प्रदर्शन

नियुक्ति परीक्षाओं के रिजल्ट लंबित रखने के विरोध में रांची में जेपीएससी दफ्तर के समक्ष युवाओं का प्रदर्शन

नियुक्ति परीक्षाओं के रिजल्ट लंबित रखने के विरोध में रांची में जेपीएससी दफ्तर के समक्ष युवाओं का प्रदर्शन

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IANS
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नियुक्ति परीक्षाओं के रिजल्ट लंबित रखने के विरोध में रांची में जेपीएससी दफ्तर के समक्ष युवाओं का प्रदर्शन

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

रांची, 1 सितंबर (आईएएनएस)। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की विभिन्न नियुक्ति परीक्षाओं के रिजल्ट लंबे समय से पेंडिंग रखे जाने से नाराज अभ्यर्थियों ने सोमवार को रांची में जेपीएससी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि आयोग परीक्षा तो लेता है, लेकिन परिणाम जारी करने में लगातार टालमटोल करता है।

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प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों ने बताया कि फूड सेफ्टी ऑफिसर (एफएसओ) के 56 पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षा 27 मई 2024 को आयोजित की गई थी। इसका विज्ञापन जून 2023 में प्रकाशित हुआ था और 10 जून 2024 को साक्षात्कार की तिथि भी निर्धारित कर दी गई थी। लेकिन आज तक न तो परिणाम घोषित हुआ और न ही चयन प्रक्रिया आगे बढ़ी।

छात्रों का कहना है कि राज्य में फूड सेफ्टी ऑफिसर की कमी के कारण मिलावटी खाद्य पदार्थ खुलेआम बेचे जा रहे हैं। जांच एजेंसी सक्रिय न होने से आम जनता की सेहत खतरे में है। इसी तरह बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) की प्रारंभिक परीक्षा 10 जून 2024 को हुई थी, जिसका परिणाम 15 जुलाई को घोषित किया गया। इसके बाद केवल 16 दिन की तैयारी अवधि देकर मुख्य परीक्षा 2 से 4 अगस्त 2024 तक आयोजित कराई गई।

इस परीक्षा के आधार पर 64 पदों पर नियुक्ति होनी थी, जिनमें 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बावजूद परिणाम अब तक घोषित नहीं किया गया। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि जेपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।

उनका कहना था कि हर बार परिणाम जारी कराने के लिए छात्रों को सड़क पर उतरना पड़ता है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि आयोग शीघ्र परिणाम घोषित नहीं करता तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। इसके पहले जेपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा के परिणाम घोषित करने की मांग को लेकर भी अभ्यर्थियों को कई महीनों तक आंदोलन करना पड़ा था।

--आईएएनएस

एसएनसी/एएस

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