नई दिल्ली, 4 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले ही निजी स्कूलों की फीस वृद्धि को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि दिल्ली सरकार एक ऐसा बिल लाने जा रही है, जो पूरी तरह निजी स्कूल मालिकों के हितों की रक्षा करता है, न कि छात्रों और अभिभावकों की।
आतिशी ने कहा कि यह बिल पहले अप्रैल में पास किए जाने की बात कही गई थी, फिर मई में इसे अध्यादेश के जरिए लाने की बात हुई, और अब कहा जा रहा है कि मानसून सत्र में इसे पेश किया जाएगा। लेकिन हकीकत ये है कि बीते चार महीनों में इस बिल को जानबूझकर विधानसभा में पेश नहीं किया गया ताकि स्कूल प्रबंधनों को मनमानी फीस वसूलने की छूट मिलती रहे।
उन्होंने कहा, इस बिल में कहीं नहीं लिखा गया है कि 2024-25 में जो फीस बढ़ाई गई है, उस पर कोई रोक लगेगी। न ही 13 पन्नों के इस बिल में फीस का ऑडिट कराने का कोई प्रावधान है। यहां तक कि फीस बढ़ाने की समिति की अध्यक्षता भी स्कूल का प्रबंधन ही करेगा। यानी स्कूल जैसा कहेगा, वैसा ही माना जाएगा। यह बिल साफ तौर पर स्कूल मालिकों को बचाने के लिए लाया गया है।
आम आदमी पार्टी ने इस बिल को लेकर दो प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनके मुताबिक इस बिल को विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाए ताकि उस पर विस्तार से चर्चा हो सके। जब तक यह बिल अंतिम रूप से पारित नहीं हो जाता, तब तक सभी निजी स्कूलों को 2024-25 की मौजूदा फीस संरचना पर ही बनाए रखने का आदेश दिया जाए।
आतिशी ने कहा, हम इस बिल का सड़क से लेकर कोर्ट तक विरोध करेंगे। यह बिल न छात्रों के हित में है, न अभिभावकों के। इस मुद्दे पर आप विधायक संजीव झा ने भी दिल्ली सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह बिल निजी स्कूलों द्वारा फीस में की गई बेतहाशा वृद्धि को कानूनी मान्यता देने की साजिश है।
उन्होंने कहा, भाजपा की सरकार बनते ही स्कूलों ने मनमाने ढंग से फीस बढ़ा दी और अब सरकार इस फैसले को वैध बनाने में जुटी है। वहीं तमिलनाडु के एक महिला सांसद से चेन स्नेचिंग के मामले में आतिशी ने कहा, दिल्ली के वीआईपी इलाके, एनडीएमसी क्षेत्र, जहां दिल्ली पुलिस, उपराज्यपाल और केंद्र सरकार का नियंत्रण है, वहां एक सांसद तक सुरक्षित नहीं है। तो आम जनता की सुरक्षा का क्या हाल होगा?
उन्होंने कहा, पहले लोग कहते थे कि केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव होता है। अब जनता देख रही है कि जितने ज़्यादा इंजन होंगे, उतनी ही ज्यादा दिल्ली की दुर्दशा होगी।
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