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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने नेक्स्ट जेनरेशन आकाश मिसाइल सिस्टम यानी आकाश-एनजी के यूजर इवैल्यूएशन ट्रायल्स को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
इन परीक्षणों के साथ ही इस अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम के भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है।
परीक्षणों के दौरान आकाश-एनजी मिसाइल सिस्टम ने अलग-अलग तरह के हवाई खतरों के खिलाफ शानदार सटीकता दिखाई। इस प्रणाली ने तेज रफ्तार से उड़ने वाले, कम ऊंचाई पर आने वाले लक्ष्यों के साथ-साथ लंबी दूरी और अधिक ऊंचाई पर मौजूद टारगेट्स को भी बेहद प्रभावी तरीके से भेदा। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रदर्शन भारत की वायु रक्षा क्षमता के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
आकाश-एनजी पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से लैस है। इसमें देश में ही विकसित रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर लगाया गया है, जो लक्ष्य को बेहद सटीक तरीके से पकड़ने में सक्षम है। इसके साथ ही इसमें ड्यूल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर का उपयोग किया गया है, जो मिसाइल को ज्यादा ताकत और बेहतर नियंत्रण देता है। इस सिस्टम में इस्तेमाल किए गए रडार और कमांड एंड कंट्रोल (सी2) सिस्टम भी पूरी तरह स्वदेशी हैं, जिससे भारत की आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक को और मजबूती मिलती है।
इससे पहले इसी महीने डीआरडीओ ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी। संगठन ने फाइटर एयरक्राफ्ट के एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड टेस्ट सफलतापूर्वक किया। यह परीक्षण चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेट्री (टीबीआरएल) की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (आरटीआरएस) सुविधा में किया गया। इस दौरान रॉकेट-स्लेड को 800 किलोमीटर प्रति घंटे की नियंत्रित रफ्तार पर चलाया गया।
इस परीक्षण में एयरक्रू की पूरी सुरक्षित रिकवरी सहित कई अहम सुरक्षा मानकों को सफलतापूर्वक सत्यापित किया गया। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इन दोनों सफलताओं से न केवल भारत की रक्षा तैयारियां और मजबूत होंगी, बल्कि स्वदेशी रक्षा अनुसंधान को भी नई दिशा और गति मिलेगी।
--आईएएनएस
वीकेयू/
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