एनसीईआरटी किताबों में बदलाव पर एसटी हसन बोले- इतिहास को बदला नहीं जा सकता

एनसीईआरटी किताबों में बदलाव पर एसटी हसन बोले- इतिहास को बदला नहीं जा सकता

एनसीईआरटी किताबों में बदलाव पर एसटी हसन बोले- इतिहास को बदला नहीं जा सकता

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IANS
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एनसीआरटी किताबों में बदलाव पर एसटी हसन बोले- इतिहास को बदला नहीं जा सकता

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुरादाबाद , 16 जुलाई (आईएएनएस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने एनसीईआरटी की किताबों में मुगलों को लेकर किए गए बदलाव पर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि इतिहास को बदला नहीं जा सकता है।

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पूर्व सपा सांसद एसटी हसन ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि इतिहास तो इतिहास होता है, कोई उसको बदल नहीं सकता। हिंदुस्तान का इतिहास पूरी दुनिया में पहचाना जाता है और बहुत से मुल्कों में पढ़ाया भी जाता है। एनसीईआरटी किताबों में बदलाव पूरे देश का अपमान है। आखिर सरकार ऐसा क्यों कर रही है?

उन्‍होंने सवाल किया कि क्‍या कोई हिंदुस्तान से अकबर और औरंगजेब का नाम खत्म कर सकता है? क्‍या वे शासक नहीं थे? क्या मुगलों ने जंग नहीं लड़ी? मुगलराज में अगर ज्यादती हुई है तो उससे ज्यादा दूसरे समुदाय को खुश करने के लिए मंदिर बनवाए गए। औरंगजेब को इतिहास में बहुत क्रूर शासक बताया गया है, लेकिन औरंगजेब ने भी मंदिरों को पैसे दान दिए थे। सरकार यह क्यों नहीं बताती कि औरंगजेब ने बहुत सारी दरगाहों को भी तुड़वाया था?

उन्‍होंने कहा कि मुगलराज के समय हिंदुस्तान में कोई संविधान नहीं था, बादशाह की हुकूमत ही संविधान होती थी। बादशाह ने जो कह दिया, वह सबको मानना पड़ता था।

अकबर को मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्‍ट करने वाला बताया गया है। इस पर एसटी हसन ने सवाल किया कि रानी जोधा बाई कौन थीं? क्यों उनकी शादी अकबर से करवाई गई? क्यों वह अकबर के किले के अंदर एक मंदिर बनाकर पूजा करती थीं? अकबर तो मुसलमान था। सरकार सांप्रदायिकता का जहर देश में घोल रही है, उसका अहसास अभी सरकार को नहीं हो रहा है, आने वाली पीढ़ी इसको भुगतेगी।

एसटी हसन ने उत्तराखंड सरकार द्वारा भगवद् गीता पढ़ाए जाने पर कहा कि भगवद् गीता एक पवित्र ग्रंथ है, करोड़ों लोगों की आस्था है। मेरा मानना है कि भगवद् गीता, कुरान, बाइबल और गुरु ग्रंथ साहिब में इंसानियत की बात की गई है। इंसानियत का पाठ सारे मजहबों में पढ़ाया गया है। गीता के साथ ही अन्‍य मजहबों की जानकारी बच्‍चों को देनी चाहिए।

--आईएएनएस

एएसएच/डीकेपी

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