रामनगर, 16 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री धामी द्वारा स्कूलों में रामायण और गीता के श्लोक पढ़ाए जाने को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति केवल लोगों का भगवाकरण कर सकती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि गीता कर्म और ज्ञान देती है और ऐसा ज्ञान सभी के लिए आवश्यक है। लेकिन, सवाल यह है कि केवल एक ही धर्म के श्लोक क्यों पढ़ाए जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि हर धर्म में अच्छी बातें होती हैं और बच्चों को सभी धर्मों की अच्छी शिक्षाएं दी जानी चाहिए।
रावत ने कहा कि शिक्षा का लक्ष्य आधुनिक दृष्टिकोण होना चाहिए, जिससे हमारे बच्चे आगे बढ़ सकें। उन्होंने केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि यह नीति केवल भगवाकरण कर सकती है, राष्ट्र निर्माण की उम्मीद इससे नहीं की जा सकती, क्योंकि यह किसी एक संस्था विशेष का प्रभाव पूरे शिक्षा जगत पर थोपती है।
सरकार मदरसों को भी शिक्षा नीति में शामिल करना चाहती है। इस सवाल पर रावत ने कहा कि भाजपा का उद्देश्य हमेशा समाज को बांटना रहा है, लेकिन यदि किसी भी धर्म की अच्छी बात को शामिल किया जा रहा है तो उसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, बशर्ते वह किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत न करे।
उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस देश को उस युग में ले जाना चाहती है, जब समाज जातियों और वर्गों में बंटा हुआ था, इसी सोच ने हमें वर्षों गुलाम बनाकर रखा और आज फिर से हमें उसी दिशा में धकेला जा रहा है। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की जरूरत पर उन्होंने कहा कि देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की नहीं बल्कि विकासवाद, कल्याणवाद, समाजवाद और सबसे बढ़कर संविधानवाद राष्ट्र की ओर और तेजी से अग्रसर कराने की जरूरत है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि केस में लखनऊ कोर्ट से जमानत मिलने के सवाल पर रावत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा राहुल गांधी पर झूठे मुकदमे दर्ज करा रही है, ताकि उनके पांव में बेड़ियां डाली जा सके,लेकिन राहुल रुकने वाले नहीं हैं। वह भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुके हैं।
मुस्लिम समुदाय की बढ़ती जनसंख्या पर हरीश रावत ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर पश्चिम और दक्षिण भारत के राज्यों ने बेहतर काम किया है, इन राज्यों में हिंदू और मुस्लिम आबादी में संतुलन है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में कुछ असमानताएं जरूर हैं, लेकिन आज के समय में लोग जागरूक हो रहे हैं और सीमित परिवार की विचारधारा पर ध्यान दे रहे हैं।
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