logo-image

गुजरात में कैसे शुरू हुई नवरात्रों में डांडिया खेलने की प्रथा आप भी पढ़े।

नवरात्र के दौरान पूरा देश मां दुर्गा की पूजा और उनके जयकारों से गूंज उठता है। लेकिन गुजरात में डांडिया खेलकर इसे कुछ खास ही अंदाज में मनाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर गुजरात में क्यों प्रसिद्ध है डांडिया।

Updated on: 01 Oct 2016, 01:08 PM

नई दिल्ली:

नवरात्र के दौरान पूरा देश मां दुर्गा की पूजा और उनके जयकारों से गूंज उठता है। लेकिन गुजरात में डांडिया खेलकर इसे कुछ खास ही अंदाज में मनाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर गुजरात में क्यों प्रसिद्ध है डांडिया।

गजरात में नवरात्र पर्व के दौरान नौ दिनों तक हर तरफ गरबा और डांडिया की धूम होती है। यह गुजरात का पारंपरिक लोक नृत्य है, जिसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

कहा जाता है कि इन नौ दिनों में डांडिया खेल कर भक्तजन मां दुर्गा को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं और अपने लिए मनचाहे फल की कामना करते हैं।

धार्मिक महत्व के साथ ही डांडिया मौज-मस्ती के रंग बिखरने के लिए जाना जाता है। इसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा सकता है। इस आयोजन में सभी आयु वर्ग के लोग शामिल होते हैं।

युवाओं के लिए अपने संस्कृति से जुड़ने का सुनहरा अवसर होता है। वे पूरी रात डांडिया और गरबे की मस्ती में झूमते हैं। इससे चारों तरफ उत्सव का माहौल रहता है।

नवरात्रों में शाम को डांडिया नृत्य के जरिए मां दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्रों की पहली रात्रि को कच्चे मिट्टी के छेदयुक्त घड़े, जिसे 'गरबो' कहते हैं, की स्थापना होती है। फिर उसके अंदर दीपक जलाया जाता है। यह दीप ज्ञान की रोशनी का प्रतीक माना जाता है।

वर्षों पहले गुजरात में महिषासुर राक्षस के आतंक से त्रस्त लोगों ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराधना की। देवताओं के प्रकोप से तब देवी जगदंबा प्रकट हुर्इं और उन्होंने उस राक्षस का वध किया। तभी से यहां नवरात्रि में भक्तगण नौ दिन तक उपवास करने लगे और देवी के सम्मान में डांडिया करने लगे।