नेशनल रीडिंग डे: लोगों में कम हो रही पढ़ने की आदत, हेमा मालिनी ने जताई चिंता

नेशनल रीडिंग डे: लोगों में कम हो रही पढ़ने की आदत, हेमा मालिनी ने जताई चिंता

नेशनल रीडिंग डे: लोगों में कम हो रही पढ़ने की आदत, हेमा मालिनी ने जताई चिंता

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IANS
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नेशनल रीडिंग डे: लोगों में कम हो रही पढ़ने की आदत, हेमा मालिनी ने जताई चिंता

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 19 जून (आईएएनएस)। हर साल 19 जून को नेशनल रीडिंग डे (राष्ट्रीय पठन दिवस) मनाया जाता है, जो केरल के प्रसिद्ध शिक्षक पी.एन. पणिक्कर को समर्पित है। इस खास दिन के अवसर पर अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की, जिसमें वह एक किताब पढ़ते हुए नजर आ रही हैं। उन्होंने अपनी इस तस्वीर के जरिए लोगों को संदेश दिया कि पढ़ने की आदत उम्र या पेशे से परे होती है। साथ ही पणिक्कर की विरासत को सम्मान दिया।

इंस्टाग्राम पर शेयर की गई फोटो में हेमा मालिनी आराम से सोफे पर बैठकर एक मोटी किताब पढ़ती नजर आ रही हैं। उनके चेहरे पर शांति और एकाग्रता की झलक है। इस तस्वीर के जरिए उन्होंने पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि किताबें न केवल ज्ञान का स्रोत हैं, बल्कि आत्मिक संतुलन का माध्यम भी बन सकती हैं।

अपनी तस्वीर को शेयर करते हुए हेमा मालिनी ने कैप्शन में लिखा, मैंने हमेशा एक सक्रिय जीवन बनाए रखा है। कभी-कभी, इस व्यस्त जीवन के बीच मैं आध्यात्मिक किताबें पढ़ना पसंद करती हूं, जिससे मुझे अपने जीवन के मकसद और जिन लोगों की मैं सेवा करती हूं, उनसे जुड़ने में मदद मिलती है। किताबें पढ़ में सुकून का अनुभव करती हूं। नेशनल रीडिंग डे के मौके पर, लोगों में पढ़ने की आदत में कमी मुझे चिंतित करती है।

एक्ट्रेस ने आगे लिखा, इसलिए मैं इंडिया रीड्स इंडिया राइज नाम की एक मुहिम का पूरा समर्थन करती हूं, जिसे मेरी दोस्त रीता राममूर्ति गुप्ता और मीनाक्षी लेखी ने शुरू किया है।

पोस्ट के आखिर में उन्होंने संस्कृत का श्लोक लिखा- पठतु भारतम्, वर्धताम् भारतम्। इसका मतलब है भारत पढ़े, भारत बढ़े।

पणिक्कर को भारत के पुस्तकालय आंदोलन के जनक के नाम से जाना जाता है। उनका मानना था कि शिक्षा और किताबें किसी भी व्यक्ति और समाज की तरक्की की सबसे बड़ी चाबी हैं। उन्होंने लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया और इसी सोच के चलते साल 1945 में केरल में पहली सार्वजनिक लाइब्रेरी शुरू हुई। इसके बाद पूरे राज्य में पुस्तकालयों का एक बड़ा अभियान चला। उनके इसी योगदान को सम्मान देने के लिए साल 1996 में 19 जून को राष्ट्रीय पठन दिवस घोषित किया गया। इस दिन लोगों को किताबें पढ़ने, खरीदने और पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

--आईएएनएस

पीके/केआर

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