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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। अक्सर सर्दियों में हम अपने घर के बुजुर्गों से सुनते हैं कि हमारे जमाने में तो रोज 8-10 किलोमीटर साइकिल चलाते थे, कभी बीमार ही नहीं पड़ते थे। आज जब युवाओं में कम उम्र में ही बीमारियां बढ़ रही हैं, तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सच में साइक्लिंग उनकी लंबी और स्वस्थ जिंदगी का राज है।
आयुर्वेद में रोजमर्रा की शारीरिक गतिविधि को उतनी ही अहमियत दी गई है, जितनी सही भोजन को। साइक्लिंग ऐसी एक्सरसाइज है, जो शरीर के लगभग 80 प्रतिशत हिस्सों को सक्रिय कर देती है। इससे वात, पित्त और कफ तीनों दोष संतुलित रहते हैं, खासकर बढ़े हुए कफ और वात पर इसका बहुत अच्छा असर पड़ता है। साइक्लिंग से शरीर में रक्त संचार 25-30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, फेफड़ों की क्षमता बेहतर होती है और पसीने के जरिए शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं।
हमारे पूर्वज ज्यादा जीते थे, इसका एक बड़ा कारण उनकी एक्टिव लाइफस्टाइल थी। उस समय लोग गाड़ियों पर निर्भर नहीं थे। खेत जाना हो, बाजार जाना हो या काम पर, हर जगह साइकिल। रोजाना 500 से 700 कैलोरी अपने आप बर्न हो जाती थी। यह धीमी और तेज गति का मिश्रण वाली एक्सरसाइज दिल के लिए सबसे सुरक्षित और असरदार मानी जाती है। पेट और कमर की चर्बी जमने का मौका ही नहीं मिलता था, क्योंकि घंटों बैठकर काम करने की आदत नहीं थी।
साइक्लिंग से इंसुलिन लेवल संतुलित रहता है, फैट ऑक्सीडेशन तेज होता है और पेट के आसपास चर्बी जमा नहीं होती। यही वजह है कि डायबिटीज, फैटी लिवर और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां पहले कम देखने को मिलती थीं। यह जोड़ों के लिए भी बेहतरीन व्यायाम है, क्योंकि यह लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज है। घुटनों पर ज्यादा जोर नहीं पड़ता, कार्टिलेज सुरक्षित रहती है और जोड़ों की चिकनाई बनी रहती है। इसलिए 60-70 साल के बुजुर्ग भी आराम से चल-फिर पाते थे।
साइक्लिंग से दिल करीब 40 प्रतिशत तक मजबूत होता है। रोज 30 मिनट साइकिल चलाने से हार्ट अटैक का खतरा 40-45 प्रतिशत तक कम हो सकता है। साथ ही साइक्लिंग से एंडोर्फिन और सेरोटोनिन जैसे हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं, जिससे तनाव कम होता है, नींद अच्छी आती है और दिमाग तेज रहता है।
--आईएएनएस
पीआईएम/एबीएम
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