गाजियाबाद, 16 जून (आईएएनएस)। मशहूर राम कथा वाचक मुरारी बापू अपनी पत्नी के निधन के दो दिन बाद ही धार्मिक अनुष्ठान संबंधी गतिविधियां करने की वजह से विवादों में हैं। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि विवाद को संवाद से सुलझाया जाना चाहिए।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, मुरारी बापू रामकथा के मर्मज्ञ हैं और कथाओं के हिमालय हैं। रामकथा के माध्यम से उन्होंने सनातन की बहुत सेवा की है। उनकी पत्नी के निधन का समाचार मुझे मिला है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें इस दुख को सहने का धैर्य और शक्ति प्रदान करे।
उन्होंने कहा कि जहां तक काशी विश्वनाथ के दर्शन करने और वाराणसी में रामकथा कहने पर विवाद है, यह विषय काशी के धर्माचार्यों और विद्वत परिषद ने उठाया है। वह धर्म के प्रकांड विद्वानों का समूह है। मुझे विवाद के विषय में पूर्ण जानकारी नहीं है। पूरी जानकारी मिलने के बाद ही मैं इस विषय पर कुछ बोल पाऊंगा। फिलहाल मैं दोनों पक्षों से यही कहूंगा कि संवाद से विवाद का हल निकालें।
हिंदू धर्म के मुताबिक, किसी की मृत्यु के बाद जब तक उसका श्राद्ध कर्म नहीं हो जाता, उसके परिवार के लोग पूजा-पाठ जैसी गतिविधियों से दूर रहते हैं। पूरे परिवार पर श्राद्ध कर्म नहीं होने तक सूतक दोष होता है। मुरारी बापू की पत्नी नर्मदाबा का निधन 11 जून को हो गया। लेकिन, वह 14 जून को ही वाराणसी रामकथा करने पहुंचे। रामकथा से पहले उन्होंने काशी विश्वनाथ में दर्शन और पूजन किया। इसे लेकर काशी के विद्वानों ने उन पर सवाल उठाए और सनातन धर्म के नियमों की अवहेलना का आरोप लगाया।
बद्रीनाथ, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मुरारी बापू पर सवाल उठाए और उनके कार्यों को सनातन धर्म का अनादर बताया।
विवाद के बाद मुरारी बापू ने पहले तो कहा था कि वह वैष्णव संत हैं, लेकिन विवाद बढ़ता देख उन्होंने माफी मांग ली है। उन्होंने कहा, सूतक में राम कथा कहने से जिसे भी ठेस पहुंची है, उन सभी से माफी मांगता हूं। लेकिन, काशी के विद्वानों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि माफी मांग लेने से उनका अपराध कम नहीं होता।
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