मोहन भागवत का बयान विरोधाभास के संकेत देता है : प्रियंका चतुर्वेदी

मोहन भागवत का बयान विरोधाभास के संकेत देता है : प्रियंका चतुर्वेदी

मोहन भागवत का बयान विरोधाभास के संकेत देता है : प्रियंका चतुर्वेदी

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IANS
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New Delhi: MPs At The Parliament House During the Winter Session

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सुझाव दिया है कि जब आप 75 साल की उम्र के हो जाते हैं तो आपको रुक जाना चाहिए और दूसरों के लिए रास्ता बनाना चाहिए। मोहन भागवत के बयान पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत के बयान से कहीं न कहीं आरएसएस और भाजपा में विरोधाभास के संकेत मिल रहे हैं।

प्रियंका चतुर्वेदी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, 2014 में जब भाजपा की सरकार बनी थी, तो पीएम मोदी ने 75 साल से अधिक उम्र के अपने नेताओं को मार्गदर्शक मंडली में रखा था, जिनमें लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी शामिल थे। भाजपा के इस फैसले को सभी ने सराहा था। अब मोहन भागवत याद दिला रहे हैं कि जो फैसला दूसरों पर लागू होता है, वो खुद पर भी लागू होना चाहिए। आरएसएस और भाजपा में विरोधाभास के संकेत मिलते रहे हैं।

प्रियंका ने कहा कि मोहन भागवत के शब्द अपने आप में स्पष्ट हैं। यह भी जानकारी है कि मोहन भागवत खुद सितंबर 2025 में 75 साल के होने जा रहे हैं। दूसरी और देश के प्रधानमंत्री भी 75 साल के होने वाले हैं। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मोहन भागवत का यह संदेश विरोधाभास की स्थिति को खुलकर सामने लेकर आता है।

बिहार में विशेष मतदाता पुनरीक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी को मानना होगा। लेकिन, लोगों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि महाराष्ट्र में पर्दे के पीछे क्या हुआ? मतदाताओं का वोटर लिस्ट से नाम हटाना, फिर नए मतदाताओं का जुड़ना और विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बीच इतने कम समय में बड़ी संख्या में मतदाताओं का जुड़ना। जिस तरह से बिहार में चुनाव से पांच महीने पहले वोटर लिस्ट को लेकर कदम उठाया गया है, उसी तरह महाराष्ट्र में भी ऐसा किया गया था।

उन्होंने आगे कहा, महाराष्ट्र जैसे हालात देखकर बिहार के लोग भी इस मुद्दे पर सवाल उठा रहे हैं। चुनाव आयोग को पता था कि बिहार में चुनाव होने हैं, फिर भी आधार कार्ड को मान्यता न देना और इस तरह से मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया शुरू करना सवाल खड़े करता है। एक तरफ तो हम ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की बात करते हैं और दूसरी तरफ वोटर लिस्ट की प्रक्रिया को चुनाव से पांच महीने पहले शुरू किया गया है। मुझे लगता है कि इस प्रक्रिया को एक साल पहले करना चाहिए। ऐसा करना पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।

--आईएएनएस

एफएम/एएस

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