मस्तिष्क को देना है सही पोषण, तो आयुर्वेद में छिपा है इसका उपाय

मस्तिष्क को देना है सही पोषण, तो आयुर्वेद में छिपा है इसका उपाय

मस्तिष्क को देना है सही पोषण, तो आयुर्वेद में छिपा है इसका उपाय

author-image
IANS
New Update
मस्तिष्क को देना है सही पोषण, तो आयुर्वेद में छिपा है इसका उपाय, ब्राह्मी-शंखपुष्पी करेंगे हर समस्या का समाधान

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। 2025 में भले ही हम कितने हाईटेक हो जाएं, लेकिन कुछ मामलों में आयुर्वेद ही कई शारीरिक समस्याओं का समाधान है।

Advertisment

विदेशी चिकित्सा पद्धति में हर बीमारी का इलाज है, लेकिन 5000 साल पुराने आयुर्वेद को चैलेंज दे पाना मुश्किल है, इसलिए इतने विकास के बाद भी आयुर्वेद को आज भी भरोसेमंद माना जाता है। आयुर्वेद में हर बीमारी का इलाज है और अगर मस्तिष्क से जुड़ी समस्या की बात की जाए तो, इसमें बेहतर उपलब्धता है।

आज के समय में मस्तिष्क में कमजोरी, जल्दी बातों को भूल जाना, और थकान जैसी समस्याएं आम हो चुकी हैं। आयुर्वेद कहता है कि इसका इलाज दो औषधियों से किया जा सकता है। ये औषधियां हैं ब्राह्मी और शंखपुष्पी। ब्राह्मी और शंखपुष्पी को मस्तिष्क के लिए वरदान माना गया है, दोनों हर समस्या का हल हैं।

पहले बात करते हैं ब्राह्मी के बारे में। ब्राह्मी के पौधे के पत्ते छोटे होते हैं और इस पर सफेद छोटे फूल भी आते हैं। हमारे देश के बरसाती राज्यों में इस पौधे की खेती सबसे ज्यादा की जाती है। आयुर्वेद में इस पौधे को बुद्धि प्रदान करने वाला माना गया है।

इसका सेवन करने से याददाश्त बढ़ती है और एकाग्रता भी बढ़ती है। इसके अलावा, यह चिंता और तनाव को कम करता है, क्योंकि इसके सेवन से मस्तिष्क की नसें शांत रहती हैं और दिमाग बेहतर तरीके से काम करता है। ब्राह्मी में बैकोसाइज होता है, जो मस्तिष्क की नसों को मजबूत बनाता है और तनाव और चिंता को कम करता है।

शंखपुष्पी भी मस्तिष्क के लिए वरदान है और आयुर्वेद में इसे मेधावर्धक की उपाधि मिली है, जो मस्तिष्क को ऊर्जा देने के साथ-साथ भावनात्मक संतुलन बनाने में भी मदद करता है। शंखपुष्पी का सेवन करने से नींद बहुत अच्छी आती है, यह मानसिक स्थिरता को बनाए रखता है और ज्यादा इमोशनल करने वाले मस्तिष्क के हिस्से पर भी नियंत्रण बनाए रखता है।

ब्राह्मी का सेवन चूर्ण के तौर पर कर सकते हैं। इसके चूर्ण को घी के साथ या दूध के साथ लिया जा सकता है। अगर बच्चे का पढ़ने में मन नहीं लगता है तो ये चूर्ण बच्चों को एकाग्रता प्रदान करेगा। इसके तेल से सिर की मालिश भी कर सकते हैं। शंखपुष्पी का सेवन काढ़े के तौर पर किया जा सकता है। यह बाजार में चूर्ण के तौर पर भी उपलब्ध है। खास बात यह है कि अगर दोनों को साथ में ग्रहण करते हैं तो इसका परिणाम बेहतर हो जाता है। गुनगुने दूध के साथ दोनों का चूर्ण मिलाकर लिया जा सकता है।

--आईएएनएस

पीएस/एबीएम

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment