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Mutual Fund : जानें कैसे करते हैं निवेश, बन गए 1 लाख रुपए 5 साल में 3 लाख

देश में निवेश का सबसे अच्‍छा माध्‍यम म्‍युचुअल फंड (mutual fund) हैं, जो बैंक एफडी (Bank FD) और पोस्‍ट ऑफिस (Post Office) से अच्‍छा रिटर्न दे रहे हैं.

Updated on: 26 Nov 2018, 11:52 AM

नई दिल्‍ली:

आजकल बैंकों और पोस्‍ट ऑफिस में ज्‍यादा ब्‍याज नहीं मिल रहा है. ऊपर से महंगाई बढ़ रही है. ऐसे में जरूरी है कि पैसा ऐसी जगह पर लगाया जाए जहां उस पर अच्‍छा रिटर्न मिले. म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) ऐसा ही जरिया हैं जहां निवेश करके अच्‍छा ही रिटर्न पाया जा सकता है. म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश के कई विकल्‍प मिलते हैं. अगर एक साथ ज्‍यादा पैसा हो उसे तो निवेश किया जा सकता है, लेकिन अगर हर माह कोई चाहे तो 500 रुपए या 1000 रुपए महीने का निवेश भी शुरू किया जा सकता है. हालांकि कई लोगों को लगता है कि म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) में किया गया निवेश शेयर बाजार में ही जाता है, लेकिन यह सच नहीं है. म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) का एक प्रकार ऐसा भी है जो लोगों का पैसा शेयर बाजार की जगह सरकारी बांड और ऐसी ही जगहों पर निवेश करके अच्‍छा रिटर्न लोगों को दिलाता है. अगर किसी ने 1 लाख रुपए का निवेश 5 साल पहले सबसे अच्‍छी म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) स्‍कीम किया होगा तो उसकी वैल्‍यू आज 3.30 लाख रुपए होगी.

इन 5 सवालों को यहां मिलेगा जवाब
जानें क्‍या है म्‍युचुअल फंड (Learn what is MF)
कैसे मिलता है म्‍युचुअल फंड से अच्‍छा रिटर्न (How to get good returns from mutual funds)
म्‍युचुअल फंड देते हैं अच्‍छा रिटर्न (Mutual funds give good returns)
कैसे चनें अच्‍छा म्‍युचुअल फंड (How to Find Good Mutual Funds)
कैसे करें म्‍युचुअल फंड में निवेश (How to invest in mutual funds)

पहले जानें क्‍या है म्यूचुअल फंड (Mutual Funds)
कई सारे निवेशकों से राशि काे जब एकत्र किया जाता है तो यह म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) कहलाता है. ऐसा करने वाली कंपनियों को पहले सेबी की इजाजत लेनी होती है. इसके बाद यह कंपनियां लोगों से पैसा एकत्र करती हैं. बाद में यह इस पैसे को म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) कंपनी के फण्ड मेनेजर निवेश करते हैं और निवेशकों को फायदा दिलाने का काम करते हैं.

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कितना दिया है रिटर्न
सेबी ने कई तरह की म्‍युचुअल फंड की कैटेगरी बनाई हैं. लेकिन ज्‍यादातर कैटेगरी में निवेशकों को अच्‍छा रिटर्न मिला है. ये हैं हर कैटेगरी के प्रमुख फंड

लार्ज कैप फंड में Axis Bluechip Fund - D (G) ने अच्‍छा रिटर्न दिया है. इस फंड ने जहां तीन साल में 12.6 फीसदी का रिटर्न दिया है वहीं 5 साल में 16.1 फीसदी का रिटर्न दिया है.

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मिड कैप फंड में Axis Mid Cap Fund - Direct (G) स्‍कीम ने अच्‍छा रिटर्न दिया है. इस फंड ने जहां तीन साल में 11.6 फीसदी का रिटर्न दिया है वहीं 5 साल में 22.6 फीसदी का रिटर्न दिया है.

स्‍माल कैप फंड में DSP Small Cap Fund - Direct (G) ने अच्‍छा रिटर्न दिया है. इस फंड ने जहां तीन साल में 8.7 फीसदी का रिटर्न दिया है वहीं 5 साल में 27.4 फीसदी का रिटर्न दिया है.

टैक्‍स सेविंग फंड में DSP Tax Saver Fund - Direct (G) ने अच्‍छा रिटर्न दिया है. इस फंड ने जहां 3 साल में 12.0 फीसद का रिटर्न दिया है वहीं 5 साल में 19.1 फीसदी का रिटर्न दिया है.

डिविडेंड यील्‍ड फंड कैटेगरी में UTI Dividend Yield Fund -Direct (G) ने अच्‍छा रिटर्न दिया है. इस फंड ने जहां 3 साल में 10.2 फीसदी का रिटर्न दिया है वहीं 5 साल में 14.1 फीसदी का रिटर्न दिया है.

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जानिए इस रिटर्न का मतलब
टॉप म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) ने काफी अच्‍छा रिटर्न दिया है. ऊपर दिए गए फंड में 5 साल में सबसे अच्‍छा रिटर्न 27.4 फीसदी का मिला है. अगर किसी ने इस फंड में 1 लाख रुपए का निवेश किया होगा तो 5 साल बाद आज उसकी वैल्‍यू 3.30 लाख रुपए होगी यानी तीन गुनी से ज्‍यादा. ऐसा नहीं है अगर किसी ने सबसे कमजोर स्‍कीम में पैसा लगाया है तो उसे भी 14.1 फीसदी का रिटर्न मिला होगा. इस रिटर्न से उसका 1 लाख रुपए आज 5 साल बाद 1.92 लाख रुपए हो गया होगा.

हर माह निवेश की वैल्‍यू जानें
अगर किसी निवेशक ने म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) की 14.1 फीसदी का रिटर्न देने वाली UTI Dividend Yield Fund -Direct (G) स्‍कीम में हर माह 1000 रुपए लगाया होता तो उसकी वैल्‍यू आज 90,426 रुपए होगी. लेकिन अगर 1000 रुपए महीने का निवेश DSP Small Cap Fund - Direct (G) में किया होता तो उसकी वैल्‍यू आज 1.31 लाख रुपए होती. इस स्‍कीम ने 5 साल में 27.4 फीसदी का रिटर्न दिया है. हालांकि निवेशक ने दोनों की स्‍कीम में 5 साल के दौरान केवल 60 हजार रुपए का ही निवेश किया होगा.

जानें फंड के बारे में 

ग्रोथ फंड्स (Growth Funds) : इस फंड के माध्यम से सबसे ज्यादा शेयरों में निवेश किया जाता है. इनका लक्ष्य मध्य से लंबी अवधि में कैपिटल एप्रिसिएशन उपलब्ध कराना है.
इनकम फंड्स - नाम से ही स्पष्ट है. यह निवेशकों को नियमित और स्थिर आय देता है. इनके जरिए तय आय देने वाली सिक्युरिटीज जैसे बॉन्ड, डिबेंचर और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है.
बैलेंस्ड फंड्स (Balanced Funds) : बैलेंस फंड्स (Balanced Funds) के जरिए ऊपर दिए गए दोनों फंड के बीच का रास्ता निकाला जाता है. यानि दोनों तरह के फंड में निवेश किया जाता है. इसमें ग्रोथ के साथ-साथ लगातार आय होना तय होता है.
मनी मार्केट फंड्स (Money Market Funds) : इस फंड का उद्देश्य आसानी से पैसा उपलब्ध कराना, पूंजी का संरक्षण देना और आय प्रदान करना होता है. इसमें ट्रेजरी बिल, सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपाजिट और कमर्शियल पेपर में निवेश किया जाता है.

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म्‍युचुअल फंड से जुड़े शब्‍द

एनएवी (NAV) (Net Asset Value) : जब भी म्यूचुअल फंड (Mutual fund) की बात होती है तब एक टर्म जो बार-बार प्रयोग में आती है, वह है- NAV. एक म्यूचुअल फंड (Mutual fund) कई जगह पैसे निवेश करता है इसलिए अगर किसी समय फंड से पैसा वापस लेना है तो यह उसकी NAV पर निर्भर करता है. अगर बेचना न भी हो तो फंड में पैसे के बारे में जानने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है. किसी म्यूचुअल फंड (Mutual fund) की NAV वो कीमत है जिससे उस फंड की एक यूनिट खरीदी या बेची जा सकती है.

ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी एसेट (Asset Management Company) (AMC) : मैनेजमेंट कंपनी वह कंपनी होती है जो अलग-अलग प्रकार की म्यूचुअल फंड (Mutual fund) स्कीम लेकर बाजार में आती हैं. जैसे रिलायंस ग्रोथ फंड (म्यूचुअल फंड स्कीम) को रिलायंस कैपिटल ऐसेट मैनेजमेंट लिमिटेड ने लॉन्च किया, जो एक एएमसी यानी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी है.

पोर्टफोलियो मैनेजर (Portfolio Manager) : एक बार अगर आपका पैसा म्यूचुअल फंड (Mutual fund) स्कीम में चला गया, तब उस धन का प्रबंधन पोर्टफोलियो मैनेजर करते हैं. वे आपके धन को शेयर या फिर बॉन्ड में निवेश करते हैं, यह निवेश आपकी स्कीम कैसी है उस पर निर्भर करता है. अगर स्कीम के नजरिये से देखा जाये तो उनके निर्णय बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि वे सिर्फ आपका नहीं, बल्कि आपके जैसे हजारों लोगों के धन का प्रबंधन करता है.

म्‍युचुअल फंड इंट्री लोड (MF Entry load) : म्‍युचुअल फंड इंट्री लोड एक महत्वपूर्ण शब्द है, जो हर म्यूचुअल फंड (Mutual fund) निवेशक के सामने आता है. एंट्री लोड और एक्ज‍िट लोड यानी जब आप निवेश कर रहे हैं, उस वक्त पड़ने वाला शुल्क और जब आप स्कीम से बाहर निकल रहे हैं, उस वक्त पड़ने वाला शुल्क. जब आप म्चूचुअल फंड (Mutual fund) खरीदते हैं तब कई बार आपको एनएवी से ज्यादा पैसा देना पड़ता है. और बेचते वक्त हो सकता है आपको कम एनएवी मिले. हालांकि यह निवेशकों के लिये अच्छा नहीं होता.

म्‍युचुअल फंड पोर्टफोलियो (Mutual Fund Portfolio) : सभी शेयर और निवेश किया गया धन मिलकर पोर्टफोलियो बनता है. तो अगर कोई म्यूचुअल फंड स्कीम रिलायंस, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज ऑटो, आईडीबीआई बैंक और कुछ सरकारी बॉन्ड खरीदते हैं तो ये सभी एकत्र होकर एक पोर्टफोलियो बनते हैं.

एयूएम (AMU) : पूर्ण धन जो निवेश किया गया है, उस कुल धन को एसेट्स अंडर मैनेजमेंट यानी एयूएम कहते हैं. एयूएम (AMU) बाजार के वातावरण और निवेशकों के निवेश व धन निकालने की तीव्रता के हिसाब से घटता बढ़ता रहता है.

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एसआईपी (SIP) : ज्यादातर ओपन एंडेड में आप हर महीने छोटे-छोटे निवेश कर सकते हैं. या फिर तिमाही, छहमाही या सालाना भी. इसे सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) कहते हैं. यह बैंक के आवर्ती जमा की तरह कार्य करता है.

एनएफओ न्यू फंड ऑफर (NFO) : म्यूचुअल फंड (Mutual fund) के नये ऑफर होते हैं जिनकी फेस वैल्यू 10 रुपए होती है.