मन की शुद्धि, आपसी प्रेम और भाईचारे के जरिए भगवान से जुड़ने का माध्यम हैं तीर्थयात्राएं: पीएम मोदी

मन की शुद्धि, आपसी प्रेम और भाईचारे के जरिए भगवान से जुड़ने का माध्यम हैं तीर्थयात्राएं: पीएम मोदी

मन की शुद्धि, आपसी प्रेम और भाईचारे के जरिए भगवान से जुड़ने का माध्यम हैं तीर्थयात्राएं: पीएम मोदी

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IANS
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New Delhi: PM Modi attends centenary celebration of historic dialogue

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 29 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के 123वें एपिसोड को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने तीर्थयात्रा का जिक्र किया और इन यात्राओं के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये यात्राएं शरीर के अनुशासन का, मन की शुद्धि का, आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रभु से जुड़ने का माध्यम हैं।

पीएम मोदी ने मन की बात के 123वें एपिसोड को संबोधित करते हुए कहा, जब कोई तीर्थयात्रा पर निकलता है, तो एक ही भाव सबसे पहले मन में आता है, चलो, बुलावा आया है। यही भाव हमारी धार्मिक यात्राओं की आत्मा है। ये यात्राएं शरीर के अनुशासन का, मन की शुद्धि का, आपसी प्रेम और भाईचारे का, प्रभु से जुड़ने का माध्यम हैं।

उन्होंने आगे कहा, इनके अलावा, इन यात्राओं का एक और बड़ा पक्ष होता है। ये धार्मिक यात्राएं सेवा के अवसरों का एक महाअनुष्ठान भी होती हैं। जब कोई भी यात्रा होती है तो जितने लोग यात्रा पर जाते हैं, उससे ज्यादा लोग तीर्थयात्रियों की सेवा के काम में जुटते हैं। जगह-जगह भंडारे और लंगर लगते हैं। लोग सड़कों के किनारे प्याऊ लगवाते हैं। सेवा-भाव से ही मेडिकल कैंप और सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है। कितने ही लोग अपने खर्च से तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाओं और रहने की व्यवस्था करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कैलाश मानसरोवर और अमरनाथ यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, साथियों, लंबे समय के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुभारंभ हुआ है। कैलाश मानसरोवर यानी भगवान शिव का धाम। हिन्दू, बौद्ध, जैन, हर परंपरा में कैलाश को श्रद्धा और भक्ति का केंद्र माना गया है। साथियो, 3 जुलाई से पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है और सावन का पवित्र महीना भी कुछ ही दिन दूर है।

उन्होंने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा, अभी कुछ दिन पहले हमने भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा भी देखी है। ओडिशा हो, गुजरात हो, या देश का कोई और कोना, लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम, ये यात्राएं ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के भाव का प्रतिबिंब हैं। जब हम श्रद्धा भाव से, पूरे समर्पण से और पूरे अनुशासन से अपनी धार्मिक यात्रा सम्पन्न करते हैं तो उसका फल भी मिलता है। मैं यात्राओं पर जा रहे सभी सौभाग्यशाली श्रद्धालुओं को अपनी शुभकामनाएं देता हूं, जो लोग सेवा भावना से इन यात्राओं को सफल और सुरक्षित बनाने में जुटे हैं, उन्हें भी साधुवाद देता हूं।

--आईएएनएस

एफएम/केआर

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