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महाराष्ट्र: अबतक मात्र 3200 किसानों को मिली वित्तीय सहायता

किसानों को वित्तीय सहायता देने के लिए किसान ऋण माफी योजना लागू किए एक महीने से ज़्यादा का वक़्त हो चुका है।

Updated on: 22 Jul 2017, 07:47 PM

highlights

  • एक समिति ने किसान ऋण माफी की एक व्यापक योजना के हिस्से के रूप में तात्कालिक राहत में विलंब पर सवाल खड़े किए
  • यह योजना एक महीने से अधिक समय पहले घोषित की गई थी
  • 90 लाख किसानों को राहत मुहैया कराने के सरकार के दावे के विपरीत अभी तक मात्र 3,200 किसानों को ही यह धनराशि वितरित की गई है

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र सरकार की एक समिति ने किसान ऋण माफी की एक व्यापक योजना के हिस्से के रूप में तात्कालिक राहत के रूप में 10,000 रुपये वितरित करने में हुए भारी विलंब पर शनिवार को सवाल खड़े किए।

यह योजना एक महीने से अधिक समय पहले घोषित की गई थी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए यह अपने आप में एक बड़ी किरकिरी है। वसंतराव नाईक शेति स्वावलंबी मिशन (वीएनएसएसएम) के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने कहा कि पात्र 90 लाख किसानों को राहत मुहैया कराने के सरकार के दावे के विपरीत अभी तक मात्र 3,200 किसानों को ही यह धनराशि वितरित की गई है।

तिवारी ने कहा, 'यह किसानों का मजाक है, जो घोषित 10,000 रुपये की आपात राहत के लिए पिछले लगभग 28 दिनों से दर-दर भटक रहे हैं। अब बुवाई का मौसम बीत चला है और मॉनसून भी जल्द विदा हो जाएगा।' 

आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, राज्य के कुल एक करोड़ बीस लाख किसानों (90 लाख़ किसान ही वित्तीय सहायता की पात्रता रखते हैं) में से मात्र 3,200 को उनकी खेती की गतिविधियों के लिए अबतक समय पर सहायता मिल पाई है, बाकी अन्य किसान दर-दर भटक रहे हैं या फिर आत्महत्या कर रहे हैं।

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तिवारी ने कहा, 'यह स्थिति राज्य सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को गारंटी की पेशकश के बावजूद है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकांश बैंकों ने इस छोटी-सी राशि के वितरण के लिए कदम नहीं उठाया है, जो कि इस महत्वपूर्ण बुवाई मौसम में किसानों के लिए बड़ी राहत हो सकती है।'

अभी तक मात्र विदर्भ-कोंकण ग्रामीण बैंक, महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक और डीसीसीबी ने लगभग 3,200 किसानों को 10,000 रुपये की आपात राहत राशि जारी की है।

इस वित्तीय सहायता की घोषणा किसानों द्वारा 11 दिनों तक चलाए गए अभूतपूर्व आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने 11 जून को की थी। 

तिवारी ने कहा कि 14 जून को सरकार ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया था कि किसान 15 जून से बैंकों से 10,000 रुपये प्राप्त कर लें। लेकिन आजतक किसान बैंकों के चक्कर काट रहे हैं और खाली हाथ लौट आते हैं।

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उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात तो यह है कि सरकार ने बैंक गारंटी चार जुलाई को उपलब्ध कराई।

उन्होंने मांग की कि भविष्य में ऐसी किरकिरी से बचने के लिए सरकार इसकी जवाबदेही उन नौकरशाहों पर तय करे, जिन्होंने किसान नेताओं के साथ बातचीत के दौरान मंत्रियों को जानकारी दी थी।

प्रत्येक बैंक को चार जुलाई की गारंटी के लिए बोर्ड से मंजूरी लेनी थी और उसके बाद ही धनराशि जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती थी।

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किसानों के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखने का नौकरशाही और बैंकों पर आरोप लगाते हुए तिवारी ने कहा कि अबतक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने आरबीआई-नाबार्ड द्वारा खरीफ मौसम के लिए लक्षित फसल ऋण का मुश्किल से 15 प्रतिशत हिस्सा ही वितरित किया है, जबकि पिछले वर्ष 21 जुलाई तक लक्ष्य का 80 प्रतिशत फसल ऋण वितरित कर दिया गया था।

इस वर्ष फसल ऋण का प्रावधान लगभग 58,662 करोड़ रुपये हो सकता है, जो कि पिछले वर्ष के प्रावधान 51,235 करोड़ रुपये से लगभग 7,000 करोड़ रुपये अधिक है।

तिवारी ने कहा, 'लेकिन इस वर्ष असंवेदनशील बैंकों और नौकरशाहों ने 10,000 रुपये की छोटी राशि का भी मजाक बना दिया, और उनके नकारात्मक रवैए के कारण किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं।'

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