महाराष्ट्र : पहली बार बीएनएसएस 2023 की धारा 100 का इस्तेमाल, 4 घंटे में अगवा युवक को बचाया गया

महाराष्ट्र : पहली बार बीएनएसएस 2023 की धारा 100 का इस्तेमाल, 4 घंटे में अगवा युवक को बचाया गया

महाराष्ट्र : पहली बार बीएनएसएस 2023 की धारा 100 का इस्तेमाल, 4 घंटे में अगवा युवक को बचाया गया

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IANS
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महाराष्ट्र: पहली बार बीएनएसएस 2023 की धारा 100 का इस्तेमाल, 4 घंटे में अगवा युवक को बचाया गया

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

जलगांव, 8 सितंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में पहली बार नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 की धारा 100 का इस्तेमाल किया गया है। इसके इस्तेमाल से 4 घंटे के अंदर ही पुलिस ने एक युवक को बचाकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

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उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) प्रमोद हिले ने आईएएनएस को बताया, 3 सितंबर को मेरे पास एक शिकायत आई थी। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए इस धारा में मुकदमा दर्ज कर तुरंत पुलिस को मयूर को बचाने का आदेश जारी किया।

इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. एम. महेश्वर रेड्डी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कविता नेरकर के मार्गदर्शन में पुलिस ने तत्काल तलाशी अभियान शुरू किया। पुलिस और मजिस्ट्रेट के बीच इस प्रभावी समन्वय के कारण, मयूर कोली को अपहरणकर्ताओं के पास से 4 घंटे के भीतर सुरक्षित छुड़ा लिया गया।

उन्होंने बताया कि चालीसगांव के रहने वाले मयूर कोली (16) को कुछ लोगों ने काम दिलाने के बहाने अगवा कर लिया था। इसके बाद उनके परिजनों ने बीएनएसएस 2023 की धारा 100 के तहत शिकायत दर्ज कराई। यह धारा मजिस्ट्रेट को किसी भी तत्काल बाधा, उपद्रव या खतरे के मामले में तुरंत आदेश जारी करने का अधिकार देती है।

प्रमोद हिले ने बताया कि इस धारा का प्रयोग वहां किया जाता है, जहां हर मिनट महत्वपूर्ण होता है। इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया। इसके पहले यह अधिकार कोर्ट के पास था, कोर्ट की तरफ से इसकी मंजूरी दी जाती थी।

उन्होंने बताया कि 3 सितंबर को मयूर के परिवार वाले पुलिस के पास गए थे, लेकिन पुलिस गणेश उत्सव में बिजी थी, इसके चलते पुलिस की तरफ से सहायता नहीं मिल पाई। इसके बाद वह कोर्ट जाने की सोची। किसी ने उन्हें सुझाव दिया कि कोर्ट में ज्यादा समय लग सकता है। इसलिए वे एसडीएम के पास सहायता के लिए आए।

प्रमोद हिले ने आगे बताया कि अगर इस धारा का समय पर इस्तेमाल किया जाए तो लोगों को बचाया जा सकता है। पहले जब यह अधिकार कोर्ट के पास था तो इसका इस्तेमाल करने में ज्यादा समय लगता था और लोगों को परेशानी भी होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

--आईएएनएस

सार्थक/जीकेटी

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