40 डिग्री तापमान में भी स्वाइन फ्लू का वायरस सक्रिय, मध्य प्रदेश में अब तक 60 लोगों की मौत
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रतिकूल मौसम होने के बावजूद स्वाइन फ्लू का संक्रमण थमने का नाम ही नहीं ले रहा. भीषण गर्मी में भी स्वाइन फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल में प्रतिकूल मौसम होने के बावजूद स्वाइन फ्लू का संक्रमण थमने का नाम ही नहीं ले रहा. भीषण गर्मी में भी स्वाइन फ्लू के मामले सामने आ रहे हैं. स्वाइन फ्लू ने मध्य प्रदेश में अब तक 60 लोगों की जान ले ली है. पिछले हफ्ते भी दो मरीजों में स्वाइन फ्लू (Swine Flu) की पुष्टि हुई है.
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भोपाल (Bhopal) में 41 डिग्री तापमान में भी स्वाइन फ्लू वायरस का कहर बरकरार. गर्मी के मौसम में स्वाइन फ्लू के वायरस ने अपना रूप बदल लिया है. अब इस वायरस का स्ट्रेंथ H1N1 की जगह H3N2 हो सकता है. डॉक्टर खुद इस स्थिति से हैरान हैं, क्योंकि आम तौर पर यह माना जाता है कि स्वाइन फ्लू का वायरस 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान में जीवित नहीं रह पाता, लेकिन इतनी भीषण आग उगलती गर्मी में भी यह वायरस कैसे जिंदा है, यह पहेली बना हुआ है.
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30 डिग्री से ज्यादा तापमान में जीवित नहीं रह पाता वायरस
डॉक्टरों के मुताबिक, स्वाइन फ्लू का वायरस 30 डिग्री से ज्यादा तापमान में जीवित नहीं रह पाता. लेकिन भीषण गर्मी में वायरस के जीवित रहने का कारण इस बार यहां लंबी चलीं सर्दियां हो सकती हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि इस बार वायरस का नया स्टेन है, रिसर्च बताते हैं कि यह बहुत तेजी से फैलता है. वायरस के जीन बदलने की संभावना बढ़ जाती है. संभव है कि वायरस का आवरण इतना मजबूत हो गया कि वह ज्यादा तापमान को भी झेल पा रहा हो.
कैसे फैलता है स्वाइल फ्लू
- स्वाइन फ्लू एक संक्रामक रोग है जो दो तरह से फैलता है.
- स्वाइन फ्लू से ग्रसित व्यक्ति को छूने या मिलने से यह वायरस फैलता है.
- स्वाइन फ्लू से ग्रसित रोगी की सांस के जरिए, जैसे छींकने, खांसने से भी यह वायरस फैलता है.
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स्वाइन फ्लू के लक्षण
- स्वाइन फ्लू से ग्रसित होने पर व्यक्ति को बुखार, खांसी, जुकाम सिरदर्द जैसी कई समस्याएं होती हैं.
- मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत होने लगती है.
स्वाइन फ्लू से बचाव
- स्वाइन फ्लू से ग्रसित लोगों को ज्यादा से ज्यादा से तरल पदार्थ पीना चाहिए.
- बिना डॉक्टर के सलाह के कोई दवा नहीं लेनी चाहिए.
- हाथों को कम से कम 45 सेकेंड तक साबुन से धोएं.
- खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को ढककर रखें.
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