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INS विक्रमादित्य पर लगी आग को बुझाने में रतलाम का लाल शहीद

कर्नाटक के कारवार में INS विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) पर लगी आग बुझाने के दौरान मध्यप्रदेश के रतलाम निवासी लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह चौहान शहीद हो गए.

Updated on: 27 Apr 2019, 07:19 AM

नई दिल्ली:

कर्नाटक के कारवार में INS विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) पर लगी आग बुझाने के दौरान मध्यप्रदेश के रतलाम निवासी लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह चौहान शहीद हो गए. चौहान ने टीम का नेतृत्व करते हुए आग पर काबू पा लिया. लेकिन आग के धुएं से वह अचेत हो गए. जहां से उन्हें नौसेना के कारवार अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी. साल 2013 में चौहान ने भारतीय नौसेना को ज्वाइन किया था. वह रतलाम की रिद्धि सिद्धि कॉलोनी में रहते थे. हादसे के बाद दोपहर 1:30 बजे नौसेना के अधिकारियों ने उनकी मां टमाकुंवर को फोन पर धर्मेंद्र के शहीद होने की खबर दी.

इससे पहले धर्मेंद्र की पत्नी करुणआ ने उन्हें हादसे के बारे में बताया था. जिसे सुनकर वह अचेत हो गई थीं. नौसेना की जानकारी मिलने के बाद उनकी पत्नी करुणआ आगरा से ही परिजनों के साथ गोवा रवाना हो गईं. 10 मार्च को ही धर्मेंद्र की शादी हुई थी. छुट्टी खत्म होने के बाद वह 23 मार्च को वापस लौट गए थे.

आईएनएस विक्रमादित्य पर 2016 में भी हादसा हो चुका है. तब जहरीली गैस लीक होने से दो नौसैनिकों की जान चली गई थी। नेवी ने बताया, लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान ने बहादुरी से प्रभावित कम्पार्टमेंट में आग पर काबू पाने का प्रयास किया. इसी दौरान वे धुएं के चलते बेहोश हो गए. इसके बाद डीएस चौहान को करवार में नेवी अस्पताल ले जाया गया.

लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. नेवी के मुताबिक, युद्धपोत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. आग पर काबू पा लिया गया. रूस के युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव को ही नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य का नाम दिया है. विक्रमादित्य एक तरह से तैरता हुआ शहर है. यह लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकता है. इसकी हवाई पट्टी 284 मीटर लंबी और अधिकतम 60 मीटर चौड़ी है. इसका आकार तीन फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है.