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जानिए मध्य प्रदेश में क्यों फंसी CM शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी, क्या है 4% का चक्कर

पिछली बार के मुकाबले 4 फीसद ज्‍यादा वोटिंग शिवराज सिंह चौहान के लिए खतरे की घंटी है. इतिहास गवाह है कि जब-जब....

Updated on: 06 Dec 2018, 08:17 PM

नई दिल्‍ली:

वैसे तो पांचों राज्यों (Assembly Election 2018) में मतगणना (Counting) 11 दिसंबर (election result) को होगी. छत्तीसगढ़ (exit poll chhattisgarh 2018) और मध्य प्रदेश ( mp exit poll 2018) में चुनाव हो चुके हैं. राजस्थान (Rajsthan exit poll 2018) और तेलंगाना में 7 दिसंबर को वोटिंग होगी. इसी दिन शाम साढ़े 5 बजे से एग्जिट पोल (exit poll 2018) भी आने लगेंगे. कुछ हद तक पांचो राज्यों (exit poll) में किसकी सरकार बनेगी इसका मोटा मोटा अनुमान लग जायेगा. लेकिन अगर बात मध्य प्रदेश के इतिहास की करें तो कुछ आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं.

मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर 28 नवंबर को करीब 76 % वोटिंग हुई. राज्य में 61 साल में रिकॉर्ड मतदान (Voting) हुआ. यह 2013 के चुनाव परिणाम से (72.18%) से 4 फीसद ज्यादा है. और यही 4 फीसद ज्‍यादा वोटिंग शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के लिए खतरे की घंटी है. इतिहास गवाह है कि जब-जब राज्‍य में 4 फीसद से ज्‍यादा वोटिंग हुई, मौजूदा सरकार उखड़ गई.

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1990 में स्व. सुंदरलाल पटवा (Sundar Lal Patwa) के नेतृत्व में BJP मैदान में उतरी और 4.36 फीसदी वोट बढ़ गए. तत्कालीन कांग्रेस (Congress) की सरकार उखड़ गई. बता दें 1985 में 49.9 फीसद वोट पड़े थे और 1990 में वोटरों का उत्‍साह काम आया और वोट पड़े 54.2 फीसद.

1993 (Madhya Pradesh Election 1993) के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के नेतृत्व में कांग्रेस (Congress)ने ताकत झोंक दी थी.

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1990 के चुनाव के मुकाबले 6.03 प्रतिशत मतदान बढ़ा तो BJP की पटवा (Sundar Lal Patwa) सरकार पलट गई. बता दें 1990 में 54.2 फीसद वोट पड़े थे जबिक 1993 में यह 6.03 प्रतिशत बढ़कर वोटिंग 60.5 फीसद हो गई.

1998 (Madhya Pradesh Election 1998)में वोटिंग प्रतिशत (Voting Percent in 1998) 60.2 रहा जबकि इससे पहले 1993 में 60.5 फीसद वोटिंग हुई थी. इस साल वोटिंग में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई और इसका परिणाम ये हुआ कि दिग्विजय सिंह की सरकार दोबारा बन गई.

2003 (Madhya Pradesh Election 2003) के चुनाव में BJP उमा भारती (Uma Bharti) के नेतृत्व में मैदान में थी. 1998 में राज्‍य में कुल 60.2 फीसद वोटिंग हुई थी. इस बार मतदाताओं ने उत्‍साह दिखाया और वोटिंग प्रतिशत पहुंच गया 67.3 पर. करीब 7 फसद की वोटिंग में बढ़ोतरी ने दिग्विजय सिंह की 10 साल की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया.

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