लोकतंत्र को मजबूत बनाती हैं शुद्ध मतदाता सूचियां : चुनाव आयोग

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लोकतंत्र को मजबूत बनाती हैं शुद्ध मतदाता सूचियां : चुनाव आयोग

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IANS
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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। चुनाव आयोग ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि शुद्ध मतदाता सूचियां लोकतंत्र को मजबूत बनाती हैं। मतदाता सूची तैयार करने के प्रत्येक चरण में राजनीतिक दलों की भागीदारी और मतदाताओं एवं राजनीतिक दलों को त्रुटियों को सुधारने के लिए उचित समय और अवसर दिया जाता है।

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भारत निर्वाचन आयोग ने कहा कि देश में संसद और विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रणाली कानून द्वारा परिकल्पित एक बहुस्तरीय विकेंद्रीकृत संरचना है। चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के आधार पर निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (आईआरओ), जो एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं, बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) की सहायता से मतदाता सूची (आईआर) तैयार करते हैं और उसे अंतिम रूप देते हैं। ईआरओ और बीएलओ मतदाता सूची की शुद्धता की जिम्मेदारी लेते हैं।

उन्होंने कहा कि मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद उसकी डिजिटल और फिजिकल कॉपियां सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं और सभी के देखने के लिए ईसीआई वेबसाइट पर डाल दी जाती हैं। मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद, अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने से पहले दावे और आपत्तियां दाखिल करने के लिए मतदाताओं और राजनीतिक दलों के पास पूरे एक महीने का समय उपलब्ध होता है।

चुनाव आयोग ने कहा कि अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद डिजिटल और फिजिकल कॉपियां फिर से सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं और ईसीआई वेबसाइट पर प्रकाशित की जाती हैं। अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद अपील की दो-स्तरीय प्रक्रिया उपलब्ध होती है, जिसमें पहली अपील जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के पास और दूसरी अपील प्रत्येक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के ईसीओ के पास की जा सकती है। कानून, नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार मतदाता सूची तैयार करने की पहचान अत्यधिक पारदर्शिता है।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) ने उचित समय पर मतदाता सूचियों की जांच नहीं की। उन्होंने एसडीएम, ईआरओएस, डीईओ या सीईओ को कोई त्रुटियां नहीं बताईं। हाल ही में, कुछ राजनीतिक दल और व्यक्ति पूर्व में तैयार की गई मतदाता सूचियों सहित मतदाता सूचियों में त्रुटियों के बारे में मुद्दे उठा रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मतदाता सूचियों के साथ किसी भी मुद्दे को उठाने का उपयुक्त समय उस चरण के दावे और आपत्तियों की अवधि के दौरान होता, जो कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के साथ मतदाता सूचियों को साझा करने के पीछे का उद्देश्य है। अगर ये मुद्दे सही समय पर सही माध्यमों से उठाए गए होते तो इससे संबंधित एसडीएम या ईआरओ को उन चुनावों से पहले गलतियों को, यदि वास्तविक थीं, ठीक करने में सक्षम बनाया जा सकता था। ईसीआई राजनीतिक दलों और किसी भी मतदाता द्वारा मतदाता सूचियों की जांच का स्वागत करता है।

--आईएएनएस

डीकेपी/

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