Zakir Hussain Death: उस्ताद अल्ला रक्खां खान के पुत्र और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से हर कोई स्तब्ध है.सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. इस दुख भरी खबर से संगीत की दुनिया में सन्नाटा छा गया है.जाकिर हुसैन फेफड़ों से संबंधित एक गंभीर लाइलाज बीमारी से जूझ रहे थे. उन्हें इडियोपैथिक पल्मोनरी फारब्रोसिस (Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease) बीमारी थी. पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में जाकिर हुसैन ने बताया था कि ये एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है. इसका कोई इलाज भी नहीं है. इस बीमारी से फेफड़ों में दिक्कत आती है. जिससे सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. इसके साथ ही उन्हें दिल से जुड़ी कई बीमारियां थीं. ब्लड प्रेशर की भी समस्या थी.
IPF बीमारी होने पर क्या होता है?
IPF बीमारी होने पर लंग्स में स्कार्ड टिश्यूज बढ़ने लगते हैं. इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है ये बीमारी भी गंभीर रूप लेने लगती है. बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के खून में ठीक तरह से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है. इसकी वजह से शरीर में और गंभीर समस्याएं होने लगती हैं.
IPF बीमारी के लक्षण
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) के मुताबिक जिन लोगों को IPF बीमारी होती है उनमें कुछ इस तरह के लक्षण दिखते हैं.
- पैरों में सूजन
- सीने में दर्द या जकड़न
- सांस लेने में तकलीफ होना
- ड्राई कफ
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
- हद से ज्यादा थकान
- वजन कम होना
- गले में खराश
- क्यों होती है IPF बीमारी?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) के मुताबिक जो लोग ज्यादा स्मोक करते हैं उनमें ये बीमारी होने का खतरा रहता है. आपके परिवार में IPF का इतिहास रहा है तो आप में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.
IPF बीमारी का इलाज
इडियोपैथिक पलमोनरी फाइब्रोसिस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है. इस बीमारी को सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है. गंभीर स्थिति में लंग्स ट्रांसप्लांट करना एक विकल्प हो सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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