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बच्चे हो या फिर युवा अक्सर ऐसा सभी के साथ होता है कि किताब खोलते ही नींद आने लगती है. क्या आपको पता है इसके पीछे आलस नहीं कई और भी कारण होते हैं.
पढ़ते समय नींद की झपकी आना सामान्य बात है. कई बार कोई भी बुक या मैग्जीन पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि आंखें अपने आप बंद हो जाएंगी. आइए जानते हैं पढ़ते समय नींद आने के कारण.
पढ़ाई करते समय हमारी मानसिक मेहनत होती है. ये थका देने वाली प्रक्रिया होती है. जब भी हम पढ़ते हैं तो उस दौरान हमारा दिमाग लगातार नई जानकारी को हासिल करने और उसे प्रोसेस करने की कोशिश करता है. यह मानसिक मेहनत हमारे शरीर को थका देती है और नींद आने लगती है.
जिन लोगों की स्लीप साइकल गड़बड़ होती है उन्हें भी पढ़ते समय झपकी आती है. अगर आप रात को पूरी नींद नहीं लेते हैं, तो दिन में आपको नींद आना स्वाभाविक है. अनियमित स्लीप साइकिल आपके शरीर की नेचुरल स्लीप-वेक साइकिल को बाधित करता है और आपको दिन में थका हुआ महसूस कराता है.
एक ही पोजीशन में पढ़ने की वजह से भी आपको नींद आ सकती है. अगर आप एक ही पोजीशन में लंबे समय तक बैठकर पढ़ते हैं या अकेले कमरे में पढ़ते हैं, तो आपका शरीर और दिमाग जल्दी थक सकता है, जिसके कारण नींद आने लगती है.
अगर आपको किसी भी तरह की कोई स्वास्थ्य समस्या है तो भी आपको नींद आ सकती है. कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि एनीमिया, थायरॉइड समस्याएं और डिप्रेशन भी पढ़ते समय नींद आने का कारण बन सकती हैं.