जानवरों के साथ सेक्स को अंग्रेज़ी में बेस्टिएलिटी कहते हैं. इसका एक और मतलब भी है अति क्रूर व्यवहार. ऑक्सफर्ड डिक्शनरी के मुताबिक़, किसी इंसान और जानवर के बीच इंटरकोर्स को बेस्टिएलिटी कहते हैं. किसी इंसान का जानवर के साथ सेक्स करना काफ़ी गंभीर मामला है, लेकिन जानवरों के खिलाफि हिंसा के जो मामले दर्ज होते हैं, उनमें इस तरह के मामलों का प्रतिशत बहुत कम होता है. भारत में यह एक दंडनीय अपराध है. वहीं इन दिनों यह मामले काफी ज्यादा बढ़ रहे है. कभी इंसान गाय के साथ सेक्स करता है, तो कभी बकरी के साथ तो कभी कुत्ते के साथ. जिसे देखने और सुनने के बाद हर किसी का पारा हाई हो जाता है. लेकिन ऐसा क्यों होता है. आइए आपको बताते है इसके पीछे की वजह.
यौन संतुष्टि
एक शोध के मुताबिक बेस्टिएलिटी एक तरह की यौन हिंसा है, जिसमें किसी जानवर का इस्तेमाल यौन संतुष्टि के लिए किया जाता है. इसका मकसद सिर्फ़ शारीरिक संतुष्टि है, कोई भावनात्मक लगाव नहीं. कुछ समुदायों में बेस्टिएलिटी को यौन संक्रमित बीमारियों के इलाज के तौर पर देखा जाता है. ये पूरी तरह से एक दिमाग़ी मामला है. इसके पीछे के दो वजह होती है.
सेक्शुअल फैंटिसी
एक तो यौन कुंठा और दूसरा सेक्शुअल फैंटिसी के लिए. एक रिपोर्ट के अनुसार, कई बार बच्चे भी इस तरह की हरकतें करते हैं."बेस्टिएलिटी के लिए कई बार माहौल भी ज़िम्मेदार होता है. कई बार परिवारों मे सेक्स को लेकर इस तरह का माहौल होता है कि लोग इस पर खुलकर बात भी नहीं कर पाते. ऐसे में कई बार सेक्स को एक्सप्लोर करने के लिए भी लोग जानवरों का इस्तेमाल करते हैं."
असंतुलित जीवन
इस तरह की समस्या उन लोगों को ख़ासतौर पर होती है जो एक असंतुलित जीवन गुज़ारते हैं. जिनका बचपन घरेलू हिंसा और तनाव के बीच गुज़रा हो. इसके अलावा जो बचपन में यौन हिंसा का शिकार होते हैं, उनमें भी इस तरह के व्यवहार की आशंका बढ़ जाती है. "पैरीफिलिया के कई प्रकार होते हैं. बेस्टिएलिटी इनमें से एक है. बेस्टिएलिटी असामान्य व्यवहार और बीमारी के बीच की चीज़ है. नैक्रोफ़ीलिया इसका दूसरा प्रकार है, जिसमें व्यक्ति किसी मृत के साथ शारीरिक संबंध बनाता है."
क्या है इलाज?
इसके लिए अवर्सिव थेरेपी दी जाती थी, लेकिन आज के समय में ये बहुत चलन में नहीं है. इस थेरेपी में शख़्स को ये महसूस कराया जाता था कि वो किसी जानवर के साथ है, लेकिन इस दौरान उसे करंट दिया जाता था ताकि बाद में अगर वो इस तरह कुछ करे तो उसे वो दर्द याद आए और वो ख़ुद ही उससे दूर हो जाए. हालांकि अब ये तरीक़ा चलन में नहीं है."ऐसे लोगों के लिए और भी कई तरह के इलाज हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि कोई भी उपाय बहुत कारगर नहीं है." इस तरह के मामले बहुत ही कम देखने को आते हैं, लेकिन इसे सिर्फ़ बीमारी नहीं माना जा सकता है. वो मानते हैं कि ऐसे मामलों में सख़्ती बरतने और ऐसे शख़्स का सही इलाज दोनों साथ-साथ करने से ही फ़ायदा हो सकता है.
पशुओं के साथ सेक्स करने वाले कैसे लोग
पशुओं से हवस- ऐसे लोग पशुओं को स्पर्श करते हैं. ये पशुओं को गले लगाते हैं और उस तरीक़े से छूते हैं. ये पशुओं के गुप्तांगों को भी छूते हैं, लेकिन सेक्स नहीं करते.
अतिउत्साही- ये पशुओं के हर हिस्से को देखते हैं. कई बार ये कामुक नज़रिए से नापते हैं. यहां तक कि पशुओं के बीच होने वाली यौन गतिविधियों के दौरान ये कुछ ज़्यादा ही सक्रिय हो जाते हैं.
नियमित पशु प्रेमी - ऐसे लोग पशुओं के साथ सेक्स करना ज्यादा पसंद करते हैं. इन्हें मानवीय सेक्स से ज़्यादा ये रास आता है.
हिसंक- ये सेक्स के दौरान पशुओं को मार भी देते हैं. यहां तक कि ये पशुओं के मर जाने के बाद भी उनसे सेक्स करते हैं.
एक्सक्लूसिव पशु प्रेमी- ऐसे लोग केवल पशुओं के साथ ही सेक्स करते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.