राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले शुभांशु शुक्ला दूसरे भारतीय बन गए हैं. जो कि AXIOM-4 मिशन का हिस्सा हैं. जिसके बाद वो पूरे देश में चर्चा में बन गए है. उन्होंने 25 जून 2025 को अंतरिक्ष की ओर उड़ान भर ली थी. वहीं स्पेस की दुनिया हमेशा से ही रहस्यों से भरी हुई रहती है. वहीं अंतरिक्ष के बारे में सुनना तो बड़ा ही ग्लैमरस लगता है, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई तो कुछ दिन बाद पता चलती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स कंडोम पहनकर क्यों जाते हैं. इसके पीछे की वजह क्या है. आइए आपको बताते है.
इंटरव्यू में किया खुलासा
दरअसल, नासा के एक पूर्व एस्ट्रोनॉट रस्टी श्वाइकार्ट ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था कि पुराने समय में अंतरिक्ष में पेशाब करने के लिए कंडोम जैसी दिखने वाली डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता था. अंतरिक्ष यात्री इस डिवाइस को अपने पिनस पर यूज करते है और इसको एक ट्यूब के जरिए पेशाब को स्टोर करने वाले सिस्टम से जोड़ दिया जाता था.
इसलिए करते हैं इस्तेमाल
वो सिस्टम माइक्रोग्रैविटी में पेशाब को एक साथ करने में मदद करता था. लेकिन इस कंडोम सिस्टम में बहुत दिक्कतें आती थीं. वहीं कभी-कभी तो यह फिट भी नहीं होता था. जिसकी वजह से सिस्टम लीक हो जाता था और उन्हें बहुत दिक्कत होती थी. जिसके बाद नासा ने इस दिक्कत को समझते हुए छोटा, बड़ा और मीडियम तीन साइज के ऑप्शन रखे. जब भी किसी एस्ट्रोनॉट को साइड चुनने का ऑप्शन मिलता था, तो वे हमेशा बड़ा साइज चुनते थे, क्योंकि यह ‘पुरुष अहं’ से जुड़ा था.
हीरो का दिया नाम
‘पुरुष अहं’ को देखते हुए साइज के नाम को बदलकर छोटा को लार्ज, मीडियम को एक्स्ट्रा लार्ज और बड़ा को हीरो नाम दे दिया, जिससे कि किसी को शर्मिंदगी न हो. लेकिन अब तो सिस्टम और एडवांस हो चुका है और आज की मॉर्डन मशीनों में ऐसी डिवाइस और यूनिसेक्स सूट का इस्तेमाल किया जाता है. ये महिला और पुरुष अंतरिक्ष यात्री दोनों के लिए काम करते हैं. अंतरिक्ष में हर छोटी-बड़ी चीज भी प्लानिंग मांगती है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.