Christmas 2025: इंग्लैंड में क्रिसमस पर बच्चों को क्यों दिया जाता है कोयला? जानिए इस अनोखी परंपरा के पीछे की वजह

Christmas 2025: इंग्लैंड में क्रिसमस पर शरारती बच्चों को केक या गिफ्ट नहीं बल्कि कोयला दिया जाता है. ऐसे में चलिए जानिए इस अनोखी परंपरा के पीछे की वजह और सेंट निकोलस से जुड़ी मान्यता.

Christmas 2025: इंग्लैंड में क्रिसमस पर शरारती बच्चों को केक या गिफ्ट नहीं बल्कि कोयला दिया जाता है. ऐसे में चलिए जानिए इस अनोखी परंपरा के पीछे की वजह और सेंट निकोलस से जुड़ी मान्यता.

author-image
Akansha Thakur
New Update
Christmas 2025 (3)

Christmas 2025

Christmas 2025: साल 25 दिसंबर यानी क्रिसमस का त्योहार दुनिया भर में उत्साह और खुशियों के साथ मनाया जाता है. सबसे ज्यादा उत्साह बच्चों में दिखता है, क्योंकि इस दिन उन्हें सांता क्लॉज़ से ढेरों गिफ्ट, चॉकलेट और केक मिलते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इंग्लैंड में क्रिसमस के दिन बच्चों को गिफ्ट्स के तौर पर कोयला दिया जाता है. अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं इस अनोखी परंपरा के पीछे की वजह. 

Advertisment

इंग्लैंड की अनोखी परंपरा

जहां दुनिया के कई देशों में बच्चों को मिठाई और उपहार दिए जाते हैं, वहीं इंग्लैंड में एक दिलचस्प रिवाज आज भी चलता है. यहां माना जाता है कि सांता अच्छे बच्चों को तो गिफ्ट देते हैं, लेकिन शरारती बच्चों को कोयला मिलता है. इस रिवाज का मकसद बच्चों को नैतिक सबक देना है. कोयला देना इस बात का प्रतीक है कि बच्चे आगे अच्छा व्यवहार करें और गलतियों से बचें.

सेंट निकोलस की कहानी

सेंट निकोलस चौथी शताब्दी के एक यूनानी बिशप थे. वे अपनी दयालुता और उदारता के लिए प्रसिद्ध थे. कहा जाता है कि वे अच्छे बच्चों के जूतों या स्टॉकिंग्स में फल, मेवे और छोटे सिक्के रखा करते थे. इसी परंपरा ने आगे चलकर सांता क्लॉज़ का रूप ले लिया.

19वीं सदी की मान्यता

एक और मान्यता के अनुसार 19वीं सदी में घरों में कोयला आसानी से मिल जाता था, क्योंकि चिमनी और स्टोव में उसी से गर्मी मिलती थी.
चूंकि सांता चिमनी से घरों में प्रवेश करते थे, इसलिए शरारती बच्चों के लिए कोयला सबसे आसान और सस्ता "उपहार" माना गया. यही वजह है कि यह परंपरा आज भी कई जगह निभाई जाती है.

क्यों मनाया जाता है क्रिसमस? 

ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार माना जाता है कि मरियम को एक सपना आया था जिसमें उनके प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी. एक बार शादी के बाद मरियम और युसूफ को बेथलहम जाना पड़ा. लेकिन उन्हें वहां कहीं रहने के लिए जगह नहीं मिली. देर रात होने की वजह से मरियम को बेथलहम में ही रुकना पड़ा. लेकिन वहां रुकने के लिए कोई ठीक जगह नहीं मिलने के कारण उन्होंने एक गौशाला में रुकने का फैसला किया जहां मरियम ने प्रभु यीशु को जन्म दिया. 

यह भी पढ़ें: Christmas 2025: क्या है सात मछलियों के भोज की परंपरा और यह कहां से शुरू हुई? क्रिसमस से है खास कनेक्शन

Christmas 2025 Christmas 2025 Date Christmas 2025 history Christmas 2025 tradition
Advertisment