रेप करने वाले आरोपी के दिमाग में क्या चलता है? जानिए इसके पीछे की सच्चाई

Rape Psychology: बलात्कार सिर्फ वासना का अपराध नहीं है. वहीं रेप बहुत बड़ा अपराध है. यह एक ऐसा क्राइम है जो कि मानसिक विकृति से भी जुड़ा होता है.

Rape Psychology: बलात्कार सिर्फ वासना का अपराध नहीं है. वहीं रेप बहुत बड़ा अपराध है. यह एक ऐसा क्राइम है जो कि मानसिक विकृति से भी जुड़ा होता है.

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Nidhi Sharma
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Rape Psychology

Rape Psychology Photograph: (Freepik)

Rape Psychology:  एक दिन ऐसा नहीं जाता है जब रेप से जुड़ी कोई खबर टीवी, अखबार या फिर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर देखने को न मिले. बलात्कार एक हिंसक कृत्य है जिससे शक्ति, नियंत्रण, वर्चस्व और गहरी मानसिक विकृति जुड़ा होता है. वहीं कोई भी रेपिस्ट केवल यौन संतुष्टि के लिए रेप नहीं करता है बल्कि वह मर्दानगी, ताकत और अपमानित करने के लिए ऐसा अपराध करता है. उन्होंने कहा कि किसी बलात्कारी की मानसिकता को समझने के लिए हमें व्यक्तित्व विकार, सीखे हुए व्यवहार, सामाजिक अनुकूलन और अक्सर पाए जाने वाले गहरे मेंटल ट्रॉमा सोच को समझना होगा. आइए आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है. 

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अपमानित करना 

कुछ रेपिस्ट रेप यौन संंतुष्टि के लिए नहीं, बल्कि शक्ति और नियंत्रण के उद्देश्य से करता है. रेपिस्ट का असली मकसद किसी किसी पर हावी होना और उसे अपमानित करना है. रेपिस्ट अक्सर अपनी ताकत दिखाने और मानसिक संतुष्टि महसूस करने के लिए, वहीं कुछ मामलों में रेपिस्ट का मकसद पीड़ित को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि उसके जरिए अपने अंदर की कुंठा, गुस्सा निकालने और हक जमाने की भावना से करता है. 

क्या होती है मानसिकता 

दरअसल, जो लोग रेपिस्ट होते हैं उन्हें ASPD डिसऑर्डर होता है. जिसमें लोग दूसरों की भावनाओं को समझ नहीं पाते हैं ना ही वह किसी के अधिकारों के बारे में सोचते हैं. एंटीसोशल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लोग बिना सोचे गलत काम करते हैं. 

गुस्सा और नफरत 

कुछ रेपिस्ट में महिलाओं के प्रति काफी गुस्सा, नरफरत और नाराजगी होती है. महिलाओं के प्रति की खराब सोच महिलाओं को अपमानित करने की इच्छा से गलत काम करते हैं.

बचपन के  अनुभव

कुछ रेपिस्ट के साथ बचपन में यौन शोषण, घरेलू हिंसा, समाज में उपेक्षा जैसी घटना हुई होती है, जिस वजह से वह खुद के किए गए अपराध को सही मानते हैं. रिसर्च कहती है कि जो बच्चा यौन शोषण, घरेलू हिंसा जैसे माहौल में बड़ा होता है या फिर ऐसे परिवार में बड़ा होता है जहां पर मर्दानगी को ताकत या फिर वर्चस्व से जोड़ा जाता है तो वह बच्चा बड़ा होकर सही और गलत के बीच फर्क को समझ नहीं पाता है. इस तरह के माहौल में बड़े हुए बच्चे दूसरो खासकर महिलाओं क इंसान नहीं बल्कि एक चीज की तरह देखते हैं. 

कॉग्निटिव डिस्टॉर्शन

कई बलात्कारी अपने अपराध को सही ठहराने के लिए बहाने बनाते हैं. वे सोच सकते हैं कि पीड़ित 'खुद चाहती थी' या 'ना का मतलब हां होता है'. ये गलत सोचने का एक ऐसा तरीका है, जिसमें व्यक्ति अपने बुरे काम को सही मानकर उसे अंजाम देता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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