Kaanta Laga Girl Shefali Jariwala: कांटा लगा गाने के रीमिक्स से फेमस होने वाली शेफाली जरीवाला के निधन के बाद से हर कोई दुखी है. लोगों को अभी तक समझ नहीं आ रहा है कि इतनी कम उम्र में इतना फिट होने के बाद भी शेफाली का निधन कैसे हो गया. वहीं अब उनकी मौत के बाद लोग उनके नाम और उनके सरनेम का मतलब सर्च कर रहे है क्योंकि ये सरनेम काफी कम लोग जानते है. आइए आपको उनके नाम और उनके सरनेम का मतलब बताते हैं.
किस धर्म से है शेफाली जरीवाला
शेफाली जरीवाला हिंदू धर्म से थीं. उनका अंतिम संस्कार भी हिंदू रीति रिवाजों से ही हुआ है. उनके पिता एक व्यापारी हैं और उनकी मां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से रिटायर हो चुकी हैं. जरीवाला की जड़ें गुजरात के पारंपरिक कारीगर वर्ग और विशेष रूप से जरी शिल्प से जुड़ी हैं.
क्या होता है जरी?
जरी एक विशेष प्रकार का धातु युक्त धागा होता है, जो आमतौर पर सोने या चांदी से बनाया जाता है. भारत में खासतौर पर लखनऊ, बनारस, सूरत और हैदराबाद जैसे शहरों में ज़री कढ़ाई की परंपरा सदियों पुरानी है. कपड़ों को शाही लुक देने के लिए जो चमकदार और महीन धागों से कढ़ाई की जाती है, वही जरी कहलाती है. इस पारंपरिक कला में निपुण लोग ही 'जरीवाला' कहलाते हैं.
जरीवाला कैसे बना
जरीवाला दो शब्दों से मिलकर बना है ‘जरी’ और ‘वाला’. इस उपनाम की उत्पत्ति उन परिवारों से मानी जाती है जो पीढ़ियों से जरी का काम करते आए. खासतौर पर गुजरात के सूरत शहर में, जो मुगल काल से जरी के व्यापार और उत्पादन का बड़ा केंद्र रहा है, वहीं से इस उपनाम की पहचान शुरू हुई. यह नाम न केवल पेशे की पहचान बन गया बल्कि एक समय में यह शिल्प भारत के विदेशी व्यापार का हिस्सा भी था. अरब देशों से लेकर यूरोप तक भारतीय ज़री की मांग थी. ऐसे में जरीवाला सरनेम वाले लोग समाज में सम्मानजनक शिल्पकार और व्यापारी माने जाते थे.
अब क्या करते हैं जरीवाला
समय के साथ जरी उद्योग में बदलाव आया. मशीनों के आने से पारंपरिक कारीगरों की मांग घटने लगी. बहुत से जरीवाला परिवारों ने अपने पुश्तैनी धंधे को छोड़ दिया और दूसरे व्यापार, शिक्षा, चिकित्सा या किसी और तरह का काम करने लगे. फिर भी जरीवाला सरनेम आज भी उनके पूर्वजों की कला और परंपरा की एक गौरवशाली याद बनकर जिंदा है.
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