इन दिनों रिलेशनशिप में बड़े बदलाव आते रहते है. शादी से पहले डेटिंग, लिव इन रिलेशनशिप, बैचिंग और शादी के बाद लिविंग अपार्ट टुगेदर जैसे नए ट्रेंड्स सामने आ रहे हैं. पहले लोग शादी को बहुत अच्छे से निभाते थे, लेकिन इन दिनों ऐसा नहीं है. इन दिनों कभी तलाक के केस सामने आ रहे हैं, तो कभी धोखे के केस बढ़ रहे है. वहीं इन दिनों लोगों को लिविंग अपार्ट टुगेदर जैसे नए ट्रेंड काफी पसंद आ रहे हैं. आइए आपको बताते है कि इसमें कैसे रहते हैं कपल्स और क्या होता है.
क्या है LAT ट्रेंड?
लिविंग अपार्ट टुगेदर में शादीशुदा लोग एक रिश्ते में होते हुए भी अलग-अलग घरों में रहते हैं. लेकिन एक दूसरे के साथ अक्सर मिलते रहते हैं. कुछ घंटे या दिन साथ में बिताते हैं, एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं, जरूरत के वक्त साथ होते हैं और फिर अलग-अलग रहने लगते हैं. युवाओं के बीच ये इसलिए ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि इसमें उन्हें आजादी मिलती है. इसके अलावा वो एक डीप रिलेशनशिप में रहते हैं. कुछ लोग एक घर में रहते हुए भी अलग-अलग रहते हैं. जिसमें अलग-अलग कमरे में या फिर अलग फ्लोर पर रहना पसंद करते हैं.
क्यों पसंद किया जा रहा है ये ट्रेंड
आजादी
साथ रहने पर कपल्स अक्सर एक दूसरे की पसंद ना पसंद में इंटरफेयर करते हैं. जो युवाओं को पसंद नहीं आ रहा है. लिविंग अपार्ट टुगेदर में कपल्स को पर्सनल स्पेस मिलता है और वो अपना रुटीन फॉलो कर पाते हैं.
करियर
जो लोग करियर पर ज्यादा फोकस करना चाहते हैं उन्हें ये ट्रेंड काफी पसंद आ रहा है. इससे आप अपने पर्सनल गोल्स पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं. कमिटमेंट न होने के कारण आप खुद को ज्यादा समय दे पाते हैं.
रिश्ते में रोमांच
हर रोज साथ रहने से कई बार एक दूसरे के लिए रोमांच नहीं बचता है. ऐसे में जब आप एक दूसरे से दूर रहते हैं तो कपल्स के बीच मिलने की चाहत, उत्सुकता और रोमांच बना रहता है.
क्या है इसके फायदे
इस तरह अलग-अलग रहने से कपल्स का पर्सनल डेवलपमेंट अच्छा होता है. लोग अपनी रूचि को बढ़ाते हैं और उसे जीते हैं. जिससे आप खुश रहते हैं और रिश्ता भी मजबूत बनता है. इस तरह के रिश्ते में किसी तरह की अपेक्षा नहीं होती है. इसलिए आप एक दूसरे के लिए ज्यादा करना चाहते हैं. लड़ाई झगड़े कम होते हैं जिससे तनाव कम होता है.
क्या है इसके नुकसान
ऐसे रिश्ते में कई बार इमोशनल दूरी बढ़ सकती है. कई बार आप खुद को अकेला महसूस करते हैं. खासकर जब आप किसी परेशानी से जूझ रहे हों या कोई मुश्किल वक्त से गुजर रहे हों. कई बार ऐसे लोगों में इमोशनल इनस्टेबिलिटी हो सकती है.