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Depression vs Sadness
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आपने कई बार लोगों को कहते सुना होगा कि आज में उदास हूं या कहीं मैं डिप्रेशन में तो नहीं हूं. कई लोग अक्सर उदासी को डिप्रेशन में कंफ्यूज होते हैं. उदास व्यक्ति को ये लगने लगता है कि वो डिप्रेशन में है.
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आज हम इन दोनों शब्दों के मूल अर्थ से आपको रूबरू कराते हैं. उदासी एक आम मानवीय भवाना है. हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी इस भावना को महसूस जरूर करता है. ये व्यक्ति के अंदर ज्यादा समय तक नहीं होती है.
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जब भी हमारे जीवन में कोई अप्रिय घटना होती है तो व्यक्ति अक्सर उदास महसूस करता है. किसी की डेथ, किसी इंटरव्यू को क्लियर ना कर पाना, मन की बात पूरी ना होना जैसी घटनाओं से व्यक्ति उदास हो सकता है.
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वहीं डिप्रेशन खतरनाक है. यह एक मेंटल डिसऑर्डर है, जिसका समय रहते इलाज होना बेहद जरूरी है. जब कोई व्यक्ति डिप्रेशन में होता है वो लगातार उदास रहने लगता है. डिप्रेशन व्यक्ति कई तरह की समस्याओं से परेशान रहता है.
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ऐसा देखने को मिलता है कि अगर कोई डिप्रेशन में है तो वो चाहे लोगों के बीच हंस-बोल रहा हो, लेकिन अंदर से बहुत खाली और उदास महसूस करता है. वहीं, डिप्रेशन में व्यक्ति की रोजाना की जिंदगी प्रभावित होने लगती है.
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अगर आप लगातार हफ्तों तक खुद को बिना किसी बात के उदास पाते हैं तो हो सकता है कि आप डिप्रेशन का शिकार हों. ऐसा व्यक्ति खुद को हमेशा खराब मूड में पाता है. जानिए क्या हैं डिप्रेशन के लक्षण.
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जब किसी व्यक्ति के अंदर से कुछ भी करने की इच्छा खत्म हो जाती है. चीजों से रुचि खत्म होने लगती है. व्यक्ति की सोने के पैटर्न में भी बदलाव आता है.
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इसके विपरीत कुछ लोग जरूरत से ज्यादा सोने लगते हैं. पूरी नींद लेने के बाद भी वो खुद में कम ऊर्जा पाते हैं. कुछ लोगों को नींद आनी बंद हो जाती है. वो पूरी-पूरी रात, पूरा-पूरा दिन जागते हुए गुजार देते हैं.
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नींद के साथ-साथ, अवसादग्रस्त व्यक्ति की डाइट पर भी असर पड़ने लगता है. डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति में ये सभी लक्षण लंबे समय तक रहते हैं. अगर आपमें ये लक्षण 2 सप्ताह से ज्यादा के लिए रहते हैं तो आपको मनोवैज्ञानिक से सलाह लेने की जरूरत है.