300 Year Old Russian Gazel Art: रूस की 300 साल पुरानी गजेल कलाकारी (Gzhel Art) आज भी अपनी विशिष्टता और सुंदरता के लिए जानी जाती है. बता दें कि ये प्राचीन कला रूसी मिट्टी के बर्तनों और सजावटी वस्त्रों को अनोखा रूप देती है और आज भी इसकी चमक पहले की तरह ही बरकरार है. जानकारी के अनुसार गजेल कलाकारी का जन्म रूस के गजेल गांव में हुआ था, जहां स्थानीय कारीगरों ने इस कला की शुरुआत की. इस कला में खासकर नीले और सफेद रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जो मिट्टी के बर्तनों को विशिष्ट और आकर्षक बनाते हैं. गजेल की सजावट में अक्सर फूलों, पत्तियों और विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों का चित्रण होता है, जो इसे अन्य कलाओं से अलग बनाता है.
क्या है गजेल आर्ट?
इस आर्ट की खासियत उसकी पारंपरिक तकनीक है. इसके लिए बर्तन को पहले मिट्टी से आकार दिया जाता है, फिर उसे नीले कलर के पेंटिंग से सजाया जाता है और आखिरी में उसे उच्च तापमान पर बेक किया जाता है. ये प्रक्रिया न केवल बर्तन को मजबूती प्रदान करती है बल्कि उसकी सुंदरता को भी कायम रखती है. बता दें कि गजेल आर्ट की इस पारंपरिक कला को न केवल रूस में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जाता है. रूस में गजेल के बने बर्तन और सजावटी वस्त्र न केवल घरेलू उपयोग के इस्तेमाल किए जाते हैं बल्कि संग्रहणीय वस्तुओं के रूप में भी अत्यधिक मूल्यवान माना जाता है. गजेल कलाकारी की यह परंपरा आज भी जीवित है और इसके सृजनात्मक और सांस्कृतिक महत्व को समझते हुए, इसे वैश्विक मंच पर भी प्रस्तुत किया जाता है. ये कला हमें न केवल रूस की सांस्कृतिक धरोहर की याद दिलाती है बल्कि कला और शिल्प की अनोखी दुनिया से भी परिचित कराती है.
कैसे शुरू हुआ था गजेल आर्ट?
कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी में, रूस के तत्कालीन सम्राट एलेक्सी ने एक ऐतिहासिक आदेश पास किया था. उस समय उन्होंने पूरे मास्को में गजेल कला से सजे सिरेमिक टी-पॉट और जगों की आपूर्ति करने का आदेश दिया था. इसके बाद सम्राट का ये आदेश गजेल कला के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. इस आदेश के बाद, गजेल के कारीगरों ने बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया और गजेल कला की मांग में तेजी से वृद्धि हुई.
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