Walking Pneumonia: दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण कहर बनता जा रहा है. भीड़भाड़ वाले इलाकों में इन दिनों एक खतरनाक बीमारी तेजी से फैल रही है. बच्चे और बुजुर्ग इसकी चपेट में सबसे ज्यादा आ रहे हैं. बाजारों के साथ-साथ स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों में इस बीमारी के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा है. ऐसे में इससे बचने के लिए अभी से आप सर्तक हो जाइए. दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. एयर क्वालिटी बेहद गंभीर श्रेणी में है. इस खतरनाक बीमारी का नाम है वॉकिंग निमोनिया.
क्या है वॉकिंग निमोनिया?
वॉकिंग निमोनिया इसी का एक हल्का रूप है. वॉकिंग निमोनिया आमतौर पर माइकोप्लाज्मा निमोनिया नाम के एक बैक्टेरिया से होता है. अगर आपको वॉकिंग निमोनिया है, तो आप इतना अच्छा महसूस कर सकते हैं कि आप बिना किसी परेशानी के घूम-फिर सकते हैं और अपने रोजमर्रा के कार्य आसानी से कर सकते हैं, बिना यह जाने कि आपको निमोनिया है.
किसे होता है वॉकिंग निमोनिया?
2 या उससे कम उम्र के छोटे बच्चे
65 या उससे ज्यादा उम्र के लोग
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनोकम्प्रोमाइज्ड)
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
अस्थमा पीड़ित
तम्बाकू का सेवन करने वाले लोग
किस समय होता है वॉकिंग निमोनिया?
वॉकिंग निमोनिया आमतौर पर हर तीन से सात साल में तेजी पर होता है. तब इसके मामलों में बढ़ोतरी होती है. यूं तो साल के किसी भी समय हो सकता है. अधिकतर पतझड़ और सर्दियों के दौरान इसके मामले बढ़ जाते हैं. प्रदूषण के दौरान भी लोग तेजी से इसकी चपेट में आते हैं.
वॉकिंग निमोनिया के क्या हैं लक्षण?
छींक आना
गले में खराश
खांसी
सिरदर्द
तेज बुखार
हल्की ठंड लगना
बहुत ज्यादा थकावट
सीने में दर्द या बेचैनी
किस वजह से होता है वॉकिंग निमोनिया?
वॉकिंग निमोनिया के कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
बैक्टीरिया
वायरस
फंगस
वॉकिंग निमोनिया से कैसे करें बचाव ?
धूम्रपान न करें और दूसरों को अपने आसपास धूम्रपान करने की अनुमति न दें. इससे आपके फेफड़े कमजोर हो सकते हैं, जो वॉकिंग निमोनिया का खतरा बढ़ाता है.
छींकते या खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रुमाल से ढकें. अगर टिशू मौजूद नहीं है, तो अपनी कोहनी या आस्तीन के अंदर छींकें या खांसें. अपने हाथों पर छींकने या खांसने से बचें.
अपने हाथों को लगातार साबुन और साफ पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं. अगर साबुन और साफ पानी उपलब्ध नहीं है, तो अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या एम्फिसीमा या अन्य पुरानी मेडिकल कंडीशन जैसे डायबिटीज या हार्ट, लिवर या किडनी की बीमारी है, तो बीमार लोगों के आसपास मास्क पहनें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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