किशोरावस्था और युवावस्था में लड़कियों के लिए सही अंडरगारमेंट का सेलेक्ट करना महत्वपूर्ण होता है. इस उम्र में शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, और ऐसे में इचिंग और असहजता जैसी समस्याएं आम हो सकती हैं. इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि किस तरह की पैंटी का चयन करने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है.
कॉटन का यूज
कॉटन एक ऐसा मटीरियल है जो त्वचा को सांस लेने देता है. यह नमी को सोखता है और त्वचा को सूखा रखता है, जिससे इचिंग और रैशेज की समस्या से बचा जा सकता है. साथ ही आजकल बाजार में कई तरह के फैब्रिक उपलब्ध हैं जो ब्रेथेबल होते हैं और जिन्हें पहनने से दिनभर आरामदायक महसूस होता है. इन फैब्रिक्स का उपयोग करके बनाई गई पैंटी न केवल त्वचा के लिए सुरक्षित होती है बल्कि हाइजीनिक भी होती है.
सही साइज की पैंटी
सही साइज़ की पैंटी पहनना भी बेहद महत्वपूर्ण है. टाइट पैंटी पहनने से त्वचा पर दबाव पड़ता है और यह इचिंग का कारण बन सकता है. दूसरी ओर, बहुत ढीली पैंटी पहनने से यह सही तरीके से फिट नहीं होती, जिससे असहजता हो सकती है. इसलिए सही साइज़ का चयन करके इन समस्याओं से बचा जा सकता है.
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हाइजीन का ध्यान
अब सीधे आता हैं हाइजीन पर, हाइजीन का ध्यान रखना भी आवश्यक है. रोज़ाना पैंटी बदलने से बैक्टीरिया का संक्रमण और इचिंग की समस्या कम होती है. पैंटी धोने के लिए एंटी-बैक्टीरियल वॉश का उपयोग करें. इससे पैंटी में बैक्टीरिया और अन्य कीटाणु नहीं रहेंगे, जो इचिंग और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं. सिंथेटिक फैब्रिक वाली पैंटी से बचना चाहिए, क्योंकि ये त्वचा को सांस लेने नहीं देती और इससे इचिंग और एलर्जी का खतरा बढ़ सकता है.अगर किसी को एलर्जी की समस्या है, तो हाइपोएलर्जेनिक पैंटी का चयन करना चाहिए. ये पैंटी विशेष रूप से ऐसी त्वचा के लिए डिज़ाइन की जाती हैं, जो संवेदनशील होती हैं.