पारदर्शी शीशे से बने स्काई वॉक पर चलना पर्यटकों के लिए रोमांच से कम नहीं होगा
बिहार के राजगीर में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई पर्यटक स्पॉट विकसित किए जा रहे हैं. इसी में से एक है घने वन क्षेत्र में बनाया जा रहा नेचर सफारी ,जहां 'ग्लास स्काई वॉक ब्रिज' भी बनाया गया है.
नई दिल्ली:
बिहार के राजगीर में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई पर्यटक स्पॉट विकसित किए जा रहे हैं. इसी में से एक है घने वन क्षेत्र में बनाया जा रहा नेचर सफारी ,जहां 'ग्लास स्काई वॉक ब्रिज' भी बनाया गया है. इस समय स्काई ब्रिज पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. राजगीर में नवंबर-दिसंबर में पर्यटकों की संख्या तो बढ़ती है पर उनका ठहराव नहीं हो पाता. अब वहां पर्यटकों के ठहराव के लिए भी कवायद की जा रही है. वन विभाग के एक अफसर के अनुसार, करीब 500 एकड़ वन क्षेत्र में फैले इस सफारी का मुख्य द्वार काफी आकर्षक बनाया गया है. मुख्य प्रवेश द्वारा के समीप ही ग्लास स्काई वॉक ब्रिज बना है, जो पूरी तरह से शीशा व स्टील के फ्रेम से निर्मित है.
अधिकारी ने बताया कि स्काई वॉक की कुल लम्बाई 85 फीट व चौड़ाई करीब 6 फीट है. घाटी से इसकी ऊंचाई करीब 250 फीट है. इसपर एक साथ 40 लोग जा सकेंगे, हालांकि डी सेक्टर यानी अंतिम छोर पर एक साथ 10 से 12 लोग ही जा पाएंगे. इस पुल में 15 एमएम के तीन लेयर के शीशे लगाए गए है. शीशे की कुल मोटाई 45 एमएम है, जो पारदर्शी है. इसी कारण इस पर चलना रोमांचक होगा.
नए साल के मार्च तक स्काई वॉक पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा. अफसरों का कहना है कि पुल का निर्माण कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है. फिलहाल अंतिम चरण में सीढ़ी व अन्य पाथ और चबूतरे का निर्माण कार्य अभी जारी है. अफसरों ने दावा किया कि चीन के हेबई प्रांत के एस्ट तैहांग में बने स्काई वॉक ब्रिज की तर्ज पर इस स्काई वॉक को बनाया गया है. राजगीर का यह स्काई वॉक बिहार का पहला और देश का दूसरा ऐसा पुल होगा.
यहां आने वाले पर्यटक जिप लाईन, एडवेंचर स्पॉट के तहत आर्चरी, तीरंदाजी, साईकलिंग, ट्रेकिंग पाथ, मड और ट्री कॉटेज, वुडेन हट, औषधीय पार्क का भी आनंद ले सकेंगे. इन सभी का निर्माण कार्य यहां चल रहा है. नालंदा जिले के राजगीर से गया जिला के जेठीयन मार्ग जाने बाले मार्ग में घने जंगल के बीच इसका निर्माण कराया जा रहा है. जरासंध अखाड़ा से इसकी दूरी लगभग 8 किलोमीटर है.
नेचर सफारी में मिट्टी और भूसे से मड कॉटेज का निर्माण किया जा रहा है. जहां लोग प्रकृति के बीच प्राकृतिक घर में रहने का आनंद महसूस कर सकें गे. अधिकारियों ने बताया कि यहां प्राचीन काल में वृक्षों पर लोगों के घर बनाकर रहने का अनुभव आज के युग में देने के लिए ट्री कॉटेज का निर्माण कराया गया है. इस कॉटेज में बेड से लेकर बाथरूम तक उपलब्ध है.
वन विभाग के अफसरों को उम्मीद है कि इन सभी के निर्माणकार्यों के पूरा होने के बाद ना केवल यहां पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी बल्कि पर्यटक यहां आकर कई दिन गुजारेंगे.
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