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places Photograph: (Social Media)
हर इंसान की जिंदगी में एक बार ऐसा पल जरूर आता है जब वो निराश हो जाता है. यह वो पल होता है जब दर्द के निशान शरीर से ज्यादा दिल पर लगे दिखाई देते हैं. इसके लिए कुछ लोग थेरेपी भी लेते हैं, लेकिन उन्हें थेरेपी से ज्यादा टाइम की जरूरत होती है. वहीं भारत में कई ऐसी जगह है जहां पहुंचकर लोग बिना किसी की परवाह किए दिल खोलकर रोते हैं. जहां उनका दर्द एक सुकून में बदल जाता है. अगर आप भी अपना दुख भुलाना चाहते हैं या फिर किसी दर्द से उभरना चाहते हैं तो इन जगहों पर जरूर जाएं. जहां जाने का बाद आपको सुकून और शांति मिलेगी. आइए आपको बताते है.
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
वाराणसी के बारे में हर किसी ने सुना होगा वहीं यह कहां जाता है कि जिस इंसान की मृत्यु होती है उसे पुनर्जन्म के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है. वाराणसी सिर्फ मृतकों के लिए नहीं है यह उन जीवित लोगों के लिए भी है जो जीवन में किसी भी तरह का दुःख ढो रहे है. जो लोग यहां आते हैं उन्हें गहरी शांति और हल्कापन महसूस होता है.
ऋषिकेश, उत्तराखंड
ऋषिकेश का नाम आते ही लोगों को बस वाटर राफ्टिंग जैसी चीजें याद आती है. यहां लोग शहरों के शोर से दूर सुकून के लिए आते हैं. यहां लोग गंगा किनारे लंबी सैर करके, गंगा आरती देखकर अपने मन को सुकून के साथ इमोशनल हीलिंग करते हैं. यहां पहुंचकर लोगों को शांति मिलती है.
बोधगया, बिहार
यहां लोग बोधि वृक्ष के नीचे अपने सवालों के जवाब नहीं बल्कि स्वीकृति पाने के लिए बैठते हैं. गौतम बुद्ध ने भी अपने अतीत की चोट को मिटाया नहीं था बल्कि उसे ज्ञान में बदल दिया था. जो लोग बोधगया में कई दिनों तक मौन में बैठते हैं, उनका मानना भी यही है कि कभी-कभी, अतीत को माफ करने का मतलब उसे भूल जाना नहीं होता. इसका मतलब है उसे एक सबक के रूप में देखना है न कि सजा के रूप में.
त्सो मोरीरी, लद्दाख
यहां भीड़-भाड़ से दूर ऊंची-ऊंची झीलें हैं. जहां तक पहुंचना आसान काम नहीं है. यहां ज्यादातर पर्यटक नहीं, बल्कि किसी तरह का दर्द महसूस करने वाले ऐसी यात्री आते हैं, जिन्हें लाइफ में शांति की तलाश होती है. यहां 15,000 फ़ीट की ऊंचाई पर, हवा पतली जरूर है, लेकिन अजीब तरह का सुकून देती है.
माजुली द्वीप, असम
दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली, ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थित है. यहां पहुंचने वाले लोगों को शहरों की भागदौड़ के साथ ओवरथिंकिंग से भी निजात मिलती है. यहां आने वाले लोग ज्यादातर लोग खुद को मानसिक रूप से थका हुआ मानते हैं, जिन्होंने अपना जीवन बहुत तेजी से अपनों की परवाह करते हुआ जिया हो.