International Tea Day: भारत में दिन की शुरुआत अक्सर एक कप गर्मागर्म चाय से होती है. चाहे सुबह की ताजगी हो या शाम की थकान, चाय हर मौके की साथी बन चुकी है. भारत में चाय सिर्फ एक पेय पदार्थ नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं और संस्कृति का हिस्सा है. 21 मई को हर साल अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है, ताकि चाय के महत्व और इससे जुड़ी आजीविका को वैश्विक स्तर पर सराहा जा सके.
इसलिए चुना 21 मई का दिन
हालांकि, पहले यह दिवस 15 दिसंबर को मनाया जाता था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने 2020 से इसे 21 मई को मनाने की घोषणा की. इसका कारण यह है कि मई के महीने में ही दुनिया के कई हिस्सों में चाय की फसल की शुरुआत होती है. इस दिन का उद्देश्य चाय की खेती, उत्पादन, खपत और इससे जुड़े किसानों की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना है.
भारत में कहां से हुई थी चाय की शुरुआत
भारत में चाय की शुरुआत असम से हुई थी, जो आज भी देश के सबसे बड़े चाय उत्पादक क्षेत्रों में से एक है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में भी बड़े पैमाने पर चाय की खेती होती है. मुन्नार, कूर्ग, दार्जिलिंग जैसे क्षेत्रों की चाय पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.
हर इलाके में चाय कितनी खास
भारत के हर कोने में चाय का अलग अंदाज देखने को मिलता है. हैदराबाद की ईरानी चाय, कश्मीर की नून और शीर चाय, तो भोपाल की नमकीन सुलेमानी चाय. हर चाय का स्वाद अपनी संस्कृति को बयान करता है. भोपाल खासतौर पर चाय के शौकीनों का शहर माना जाता है, जहां पुराने शहर की गलियों से लेकर नए शहर के चौक तक चाय की खुशबू बसी रहती है.
चाय सिर्फ स्वाद ही नहीं, लोगों को जोड़ने का जरिया भी है. दोस्ती की शुरुआत हो, बातचीत का सिलसिला या कोई मुलाकात चाय के बिना अधूरी लगती है. खासतौर पर सर्दियों में इसकी अहमियत और बढ़ जाती है.
मेहनत को सम्मान देने का दिन
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस सिर्फ एक पेय को सेलिब्रेट करने का दिन नहीं, बल्कि यह उन लाखों किसानों, मजदूरों और कामगारों की मेहनत को सम्मान देने का दिन भी है, जिनके प्रयासों से हर सुबह की पहली चुस्की मिलती है.
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