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Mata Annapurna darshan
Mata Annapurna darshan: आज धनतेरस का पावन पर्व पूरे धूमधाम से देशभर में मनाया जा रहा है. धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और धन कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि के पूजन का विधान है. लेकिन क्या आपको पता है ये दिन काशी में भक्तों के लिए बेहद खास होता है. क्योंकि पूरे साल इंतजार करने के बाद भक्तों को धनतेरस से लेकर भैया दूज तक यानी सिर्फ चार-पांच दिन माता अन्नपूर्णा के स्वर्ण स्वरूप का दर्शन होता है.
मां अन्नपूर्णा का मंदिर साल में धनरतेरस से लेकर भाई दूज तक के लिए ही खुलता है. यही कारण है कि भक्तों की कतार दर्शन के लिए यहां लगी रहती है. इस बीच धनतेरस पर ही प्रसाद स्वरूप सिक्के और लावा का वितरण किया जाता है. मान्यता है कि प्रसाद में मिले सिक्के और लावा को तिजोरी व भंडार में रखने से कभी अन्न-धन की कमी नहीं रहती. आइए जानते हैं इसके बारे में.
मंदिर को लेकर क्या है मान्यता
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि काशी में वास के लिए जब भगवान शंकर पहुंचे थे तब उन्होंने भिक्षा मांगकर माता अन्नपूर्णा से अपना और काशी वासियों का पेट भरा था. मां ने देवाधि देव महादेव को यह आशीर्वाद दिया कि अब काशी में कभी कोई भूखा नहीं सोएगा. इसी मान्यता के अनुसार सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा को निभाया जा रहा है.
इस बार बहुत ही शुभ योग
धनतरेस पर मंगल बेला में सुबह तीन बजे से पूजन शुरू होगा. पौने पांच तक शविधि पूजन होगा. आम भक्तों क़े लिये पांच बजे मंदिर का पट खुलेगा. 29 नवंबर धनतेरस के दिन निर्धारित समय से एक घंटे पहले ही मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे और पांच दिनों तक श्रद्धालु माता के स्वर्णमयी विग्रह मां अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे.
ऐसे पहुंचे मंदिर
भक्त बांसफाटक से होते गेट नंबर एक ढुंढिराज से मंदिर पहुंच सकते हैं. वहां बनी अस्थायी सीढियों से होते हुए स्वर्णमयी माता का दर्शन करके श्रद्धालु कालिका गली से बाहर निकल सकते हैं. भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की वजह से यहां सुरक्षा के लिए कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है. कंट्रोल रूम के जरिए निगरानी की जाएगी. जगह-जगह सेवादार तैनात रहेंगे. मंदिर आने वाले सभी दर्शनार्थियों को सुगम दर्शन मिले, इसकी व्यवस्था की गई है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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