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आलस को दूर भगाना है जल्दी, तो बस अपनाएं ये जापानी टेकनीक

काइजेन को सेल्फ-इंप्रूवमेंट के लिए 'वन-मिनट प्रिंसिपल' (one-minute principle) भी कहा जा सकता है. ये एक बहुत ही बेहतर जापानी टेकनीक है जिससे आप अपने आलस को दूर भगा सकते है. अपना काम पूरा कर सकते है.

Updated on: 06 Oct 2021, 12:54 PM

नई दिल्ली:

लोगों की लाइफ में जितना काम ज्यादा हो गया है. उतने ही वो बिजी भी ज्यादा हो गए है. बिजी इतने रहते हैं कि रात-रात भर काम में लगे रहते हैं. जिसके कारण नींद पूरी नहीं हो पाती. उसी वजह से उनमें आलस भर जाता है. उस आलस को दूर करने के लिए तरह-तरह के तरीके आजमाते हैं. जैसे नई-नई डिशिज बनाना, घूमने चले जाना वगैराह. लेकिन, आज जरा अपने आलस को दूर भगाने का एक नया तरीका बताते है. भई, वो एक जापानी तरीका है. जो आपके आलस को कुछ ही मिनटों में दूर भगा देगा. तो चलिए, बिना टाइम वेस्ट किए तरीके देख लें. वैसे बता दें उस तरीके को काइजेन (Kaizen) कहते हैं. 

                                   

अब, पहले बता दें काइजेन होता क्या है. तभी तो उसकी मदद से आलस दूर करने के तरीके बताएंगे. काइजेन को सेल्फ-इंप्रूवमेंट के लिए 'वन-मिनट प्रिंसिपल' (one-minute principle) भी कहा जा सकता है. ये एक बहुत ही बेहतर जापानी टेकनीक है जिससे आप अपने आलस को दूर भगा सकते है. अपना काम पूरा कर सकते है. इस प्रैक्टिस के पीछे का कॉन्सेप्ट या आइडिया यही है कि लोग कम से कम एक मिनट के लिए ही सही लेकिन, एक्सरसाइज जरूर करें. सिर्फ एक या दो दिन के लिए नहीं बल्कि रोजाना करें. 

                                     

'काइ' वर्ड का मतलब ही बदलाव (change) है. 'जेन' का मतलब अक्लमंदी (wisdom) है. जो कि मासाकी इमाई (Massaki Immai) ने इंवेंट (invent) किया था. जो कि जापान के ऑर्गेनाइजेशनल थिओरिस्ट और मैनेजमेंट कंसलटेंट थे. जिन्हें क्वालिटी मैनेजमेंट पर काम करने के लिए जाना जाता था.   

                                       

अब, बता दें कि ये काम कैसे करता है. तो बता दें काइजेन एक सिंपल टेकनीक है. जो आपसे आपकी लाइफ का रोजाना केवल एक मिनट मांगती है. चलिए आपको इसका एक एक्जाम्पल दे देते हैं. मान लीजिए आप एक बुक पढ़ रहे है या कोई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजा रहे हैं. तो आपको उस काम को पूरा करने के लिए अपना टाइम तो देना ही पड़ेगा. चाहे फिर आप उस काम को रोजाना करें या कभी-कभी. वक्त तो उसको देना ही पड़ेगा. इस बात का मतलब ये होता है कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप एक काम को खत्म करने के लिए कितना आलस दिखाते है. लेकिन, जब आप काइजेन कर रहे हैं. तो आप उस काम को करने के लिए डेडिकेटिड रहेंगे. भले ही कुछ टाइम देंगे. लेकिन, देंगे जरूर.  

                                         

हालांकि, कई बार ऐसा होता है कि हम ऐसा सोचते हैं कि कुछ काम बेकार के हैं. जो पूरे हो या ना हो फर्क नहीं पड़ता. उन्हें करने से टाइम बरबाद होता है. तो बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है. साथ ही इस टेकनीक को काम करने के लिए सिर्फ एक मिनट की ही जरूरत होती है. जिसमें आराम से काम पूरा किया जा सकता है.  

                                         
जब बात काइजेन की होती है तो जल्दी या हबड़दबड़ मचाने की जरूरत नहीं होती है. अपने टाइम का सिर्फ एक मिनट देना होता है. और जब आप इसकी प्रैक्टिस में आ जाते हैं तो आप अपने लिए खुद ही वक्त निकालना शुरू कर देते है. कई बार तो वो एक मिनट एक घंटे में भी तबदील हो जाता है. ये एक ऐसी टेकनीक है जो कोई भी इंसान अपनी लाइफ के किसी भी पॉइंट पर अपना सकता है. आपको बस ये समझने की जरूरत है कि आप क्या पाना चाहते हैं. आपकी लाइफ का ऐम या गोल क्या है.  

                                         

जापानी कल्चर (Japanese culture) कई जरूरतमंद टेकनीक्स का सोर्स है. जैसे कि काइजेन आलस हटाने में मदद करती है. तो वहीं कीकेबो टेकनीक (Kakeibo technique) पैसे बचाने के लिए जानी जाती है. ऐसी और भी बहुत-सी जापानी टेकनीक्स है. जिनका इस्तेमाल रोजाना में किया जाता है.