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इकलौते बेटे की परवरिश में भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, नहीं तो उठाना पड़ सकता है नुकसान

Parenting Tips: बच्चे की परवरिश एक ज़िम्मेदारी है, जिसमें प्यार, धैर्य और समझदारी की ज़रूरत होती है। हर बच्चा अलग होता है, इसलिए उसकी परवरिश का तरीका भी अलग होता है. यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं जिनका ध्यान रखकर आप अपने बच्चे की अच्छी परवरिश कर सकते हैं.

Updated on: 16 Apr 2024, 11:56 AM

New Delhi:

Parenting Tips: हर किसी का बचपन अपने आप में एक अनुभव होता है, जो हमें हमेशा याद रहता है. बचपन एक समय होता है जब हम बहुत सरलता से खुशी, उत्साह, और खेल-खिलौने के साथ अपने दिनों को बिताते हैं. इस समय की स्मृतियां हमें हमेशा आनंद देती हैं. घर में बहुत सारे बच्चे हों तो मजा आता है लेकिन जब इकलौता बेटा हो तो बेटे और माता-पिता दोनों के लिए ही चुनौतियां आ जाती हैं. इकलौते लड़के को समाज में अन्य बच्चों की तुलना में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. अगर आप इस बात से परेशान हैं कि आप अपने इकलौते बेटे की परवरिश कैसे करें कि वो ना तो बिगड़े और ना ही बद्तमीजी करे. कुछ ऐसी गलतियां जिसे माता-पिता को करने से बचना चाहिए ये भी जान लें. 

गलतियां

अत्यधिक लाड़-प्यार: इकलौते बच्चे को अक्सर अत्यधिक लाड़-प्यार मिल जाता है, जिससे वे बिगड़ सकते हैं. उन्हें अपनी इच्छाएं पूरी करवाने के लिए जिद करने, दूसरों के साथ सहयोग न करने और आत्म-केंद्रित बनने की आदत लग सकती है.

अत्यधिक दबाव: कई माता-पिता अपने इकलौते बेटे पर अपनी सारी आशाएँ टिका देते हैं, जिससे उन पर अत्यधिक दबाव होता है. इससे बच्चा तनावग्रस्त, चिंतित और आत्म-संदेह से ग्रस्त हो सकता है.

अकेलापन: इकलौते बच्चे अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं, खासकर जब उनके माता-पिता काम पर होते हैं या व्यस्त होते हैं. इससे वे सामाजिक रूप से अकुशल, उदास और चिड़चिड़े हो सकते हैं.

तुलना: माता-पिता अक्सर अपने बच्चे की तुलना दूसरों से करते हैं, जिससे बच्चे में हीन भावना पैदा हो सकती है.

अनुशासन की कमी: इकलौते बच्चे को अनुशासन सिखाना ज़रूरी है, लेकिन अक्सर माता-पिता उन पर दया दिखाते हैं या उन्हें डांटने से डरते हैं. इससे बच्चे में अनुशासनहीनता और गैरजिम्मेदारी की भावना पैदा हो सकती है.

क्या करें

अपने बेटे को भरपूर प्यार और स्नेह दें, लेकिन उसे बिगाड़ें नहीं. उसे सही और गलत के बीच अंतर समझने में मदद करें. स्वतंत्रता दें और उसे अपनी जिम्मेदारियां लेने के लिए प्रोत्साहित करें. दोस्त बनाने और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें. उसकी उपलब्धियों की सराहना करें और उसे गलतियों से सीखने में मदद करें. उसके साथ खुलकर बातचीत करें और उसकी भावनाओं को समझें, समय बिताएं और उसकी रुचियों में शामिल हों. एक सकारात्मक रोल मॉडल बनें. हर बच्चा अलग होता है और उसकी अपनी ज़रूरतें होती हैं. अपने बेटे को अच्छी तरह से समझने और उसकी ज़रूरतों के अनुसार उसका पालन-पोषण करने की कोशिश करें.

उसे भाई-बहनों या दोस्तों के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करें. टीम खेलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें. स्वयंसेवा करने या सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें. किताबें पढ़ने और रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें. आप अपनी आवश्यकताओं और सीमाओं के बारे में जागरूक रहें. यदि आपको लगता है कि आप अपने बेटे की परवरिश में अकेले संघर्ष कर रहे हैं, तो मदद मांगने में संकोच न करें. आप किसी बाल मनोवैज्ञानिक, परिवार परामर्शदाता या अन्य पेशेवर से सलाह ले सकते हैं.

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