International Women's Day 2024: महिला दिवस पर एक ऐसी लड़की की कहानी जो हुई थी हिटलर की क्रूरता का शिकार
International Women's Day 2024: एन फ्रैंक की डायरी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो नाजी जर्मनी के शासनकाल के दुखद घटनाओं को दर्शाता है और उसके बाद के विश्व के लिए एक अद्वितीय धार्मिक और साहित्यिक रूपांतरण बन गया.
नई दिल्ली:
International Women's Day 2024: एन फ्रैंक एक यहूदी लड़की थी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय नाजी जर्मनी के शासनकाल में जीती थी. वह नाजी जर्मनी के नियम के बावजूद, अपनी परिवार के साथ एक गुप्त रखे हुए आदमीजात घर में छिपी रही और उस दौरान अपने अनुभवों को एक डायरी में लिखती रही. उनकी डायरी को बाद में "एन फ्रैंक की डायरी" के नाम से प्रकाशित किया गया. एन फ्रैंक की डायरी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो नाजी जर्मनी के शासनकाल के दुखद घटनाओं को दर्शाता है और उसके बाद के विश्व के लिए एक अद्वितीय धार्मिक और साहित्यिक रूपांतरण बन गया. ऐन फ्रैंक एक युवा यहूदी लड़की थी जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एम्स्टर्डम में अपने परिवार के साथ छिपी हुई थी. वह अपने डायरी के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें उसने अपने अनुभवों और भावनाओं का वर्णन किया है.
जन्म और प्रारंभिक जीवन: ऐन फ्रैंक का जन्म 12 जून 1929 को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में हुआ था. 1933 में, जब ऐन चार साल की थी, हिटलर के नेतृत्व में नाजी पार्टी जर्मनी में सत्ता में आई. नाजियों के उत्पीड़न से बचने के लिए, ऐन के परिवार ने 1934 में एम्स्टर्डम, नीदरलैंड चले जाने का फैसला किया.
छिपने का जीवन: 1942 में, जब ऐन 13 साल की थी, नाजियों ने नीदरलैंड पर कब्जा कर लिया. ऐन के परिवार ने एम्स्टर्डम में एक गुप्त स्थान पर छिपने का फैसला किया. वे दो साल तक चार अन्य लोगों के साथ एक छोटे से एनेक्स में छिपे रहे.
डायरी: छिपने के दौरान, ऐन ने अपनी भावनाओं, विचारों और अनुभवों को एक डायरी में लिखा. डायरी में युद्ध के भय, अकेलेपन, और भविष्य के लिए अनिश्चितता के बारे में लिखा. उसने अपने परिवार और दोस्तों के लिए भी लिखा, और उसने एक बेहतर दुनिया की उम्मीद व्यक्त की.
गिरफ्तारी और मृत्यु: 4 अगस्त 1944 को, नाजियों ने ऐन और उसके परिवार को उनके छिपने के स्थान पर खोज लिया. उन्हें एकाग्रता शिविर में भेज दिया गया. ऐन और उसकी बहन मार्गोट की 1945 में बर्गन-बेल्सन एकाग्रता शिविर में टाइफाइड से मृत्यु हो गई.
डायरी का प्रकाशन: ऐन के पिता, ओटो फ्रैंक, युद्ध से बच गए. उन्होंने अपनी बेटी की डायरी को "एने फ्रैंक की डायरी" के शीर्षक से प्रकाशित किया. डायरी 70 से अधिक भाषाओं में अनुवादित हो चुकी है और यह दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा पढ़ी जाती है.
विरासत: ऐन फ्रैंक प्रलय के सबसे प्रसिद्ध पीड़ितों में से एक हैं. उनकी डायरी युद्ध की भयावहता और मानवता की भावना का एक शक्तिशाली प्रमाण है. ऐन फ्रैंक की डायरी युवाओं को साहस, आशा और सहिष्णुता का संदेश देती है.
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