Live in Relationship Law: लिव-इन रिलेशनशिप पर क्या है भारत में कानून , जानें यहां

Live in Relationship Law:  लिव-इन रिलेशनशिप कानून एक कानूनी संरचना है जो एक संबंध को निर्धारित करने के लिए लागू होता है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ रहता है और उनके साथ संबंध बनाता है बिना शादी के. 

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Inna Khosla
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Live in Relationship Law( Photo Credit : News Nation )

Live in Relationship Law:  लिव-इन रिलेशनशिप कानून एक कानूनी संरचना है जो एक संबंध को निर्धारित करने के लिए लागू होता है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के साथ रहता है और उनके साथ संबंध बनाता है बिना शादी के. इस रिलेशनशिप को अक्सर "लिव-इन" या "साथी संबंध" के रूप में भी जाना जाता है. इसका प्राथमिक उद्देश्य दोनों पक्षों के बीच एक स्थायी संबंध को साकार करना होता है जिसमें शादी के सामान्य कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाता है. लिव-इन रिलेशनशिप के कानून और उनके प्रावधान एक से दूसरे देशों में भिन्न हो सकते हैं. कुछ देशों में, लिव-इन को शादी के बराबर माना जाता है और कुछ देशों में यह केवल सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को संरक्षित करने के लिए होता है. इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में लिव-इन रिलेशनशिप के तहत आर्थिक और संबंध संबंधित मामलों का समाधान भी किया जाता है. भारत में लिव इन रिलेशनशिप कानूनी तौर पर स्वीकार नहीं किया गया है.

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लेकिन, कई अदालतों ने लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता दी है और महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा अधिनियम, 2005 के तहत संरक्षण प्रदान किया है.

यहां कुछ महत्वपूर्ण अदालती फैसले दिए गए हैं:

1978 में बद्री प्रसाद बनाम डिप्टी डायरेक्टर ऑफ कंसोलिडेशन: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि लिव इन रिलेशनशिप गैरकानूनी नहीं है और वयस्क पुरुष और महिला अपनी मर्जी से एक साथ रह सकते हैं.

1995 में D. Velusamy vs D. Patchaiammal: मद्रास उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला पत्नी के समान अधिकारों की हकदार है.

2010 में Khushboo vs Kanwar Pal Singh: दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा से सुरक्षा अधिनियम, 2005 के तहत संरक्षण प्राप्त है.

हालांकि, लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले पुरुषों और महिलाओं के लिए कई कानूनी चुनौतियां हैं.

इन चुनौतियों में शामिल हैं:

विरासत का अधिकार: लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले पुरुष या महिला को मृत्यु के बाद संपत्ति विरासत में लेने का अधिकार नहीं होता है.

गुजारा भत्ता: यदि लिव इन रिलेशनशिप टूट जाता है, तो महिला को गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार नहीं होता है.

बच्चों का अधिकार: लिव इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को पिता का नाम और संपत्ति का अधिकार प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है.

सरकार लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता देने के लिए एक कानून बनाने पर विचार कर रही है.

यह कानून लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले पुरुषों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा.

यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले पुरुषों और महिलाओं के लिए उपयोगी हो सकते हैं:

एक लिखित समझौता करें: लिव इन रिलेशनशिप में रहने से पहले, एक लिखित समझौता करें जिसमें आपके अधिकार और जिम्मेदारियां शामिल हों.

अपने परिवार और दोस्तों को बताएं: अपने परिवार और दोस्तों को अपने रिश्ते के बारे में बताएं ताकि वे आपका समर्थन कर सकें.

कानूनी सलाह लें: यदि आपको कोई कानूनी समस्या है, तो एक वकील से सलाह लें.

लिव इन रिलेशनशिप एक व्यक्तिगत निर्णय है. अगर आप लिव इन रिलेशनशिप में रहने का निर्णय लेते हैं, तो इसके सभी पहलुओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है.

Source : News Nation Bureau

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