साड़ियों का इतिहास: साड़ी, भारतीय सांस्कृतिक और विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसका इतिहास संविदानशीलता और विविधता से भरा हुआ है. इस अद्वितीय वस्त्र का उपयोग महिलाओं के लिए रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से लेकर शादियों और धार्मिक आयोजनों तक कई अवसरों पर होता है. बात करें साड़ी के इतिहास की तो ये वैदिक काल से जुड़ा है. कैसे-कैसे बदलते समय के साथ साड़ी और प्रचलन में आयी और अब विश्वभर में लोग इसे पहनना पसंद करते हैं. हम आपको ये बता रहे हैं. इतना ही नहीं हम आपको भारत की 10 प्रसिद्ध साड़ियों के बारे में भी बता रहे हैं.
साड़ी का इतिहास
वैदिक काल:
साड़ी का प्रारंभ वैदिक काल से हुआ था. इस समय में महिलाएं धोती या अंगवस्त्र का प्रयोग करती थीं, लेकिन साड़ी ने विशेषत: महाभारत के समय से अपनी पहचान बनाई.
मौर्य साम्राज्य:
मौर्य साम्राज्य के दौरान, साड़ी ने अपनी गरिमा और सौंदर्य में वृद्धि की. इस समय से यह वस्त्र समृद्धि और समृद्धि का प्रतीक बन गया.
गुप्त साम्राज्य:
गुप्त साम्राज्य के दौरान, साड़ी का शैली और डिज़ाइन में विविधता आई और यह वस्त्र विशेषकर शासकीय और श्रीमंत स्त्रियों के लिए पहना जाता था.
गुलाबी साड़ी का काल:
मुघलकाल में, गुलाबी साड़ियां बहुत लोकप्रिय थीं, और इस रंग को श्रृंगार और सौंदर्य का प्रतीक माना गया.
ब्रिटिश शासन:
ब्रिटिश शासन के दौरान, साड़ी का प्रचलन कम हो गया लेकिन यह फिर से प्रमुखता प्राप्त करने में सक्षम रही और स्वतंत्रता के बाद एक नए उत्थान की ओर बढ़ी.
समकालीन युग:
आज के समकालीन युग में, साड़ी भारतीय महिलाओं के लिए सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है. विविधता और विभिन्न स्टाइल्स में बनी साड़ियां आज भी बहुत प्रशंसा प्राप्त कर रही हैं.
साड़ी का इतिहास भारतीय रूप, संस्कृति और सौंदर्य का एक सुंदर सफर है, जो समय के साथ बदलते हुए भी इसकी गरिमा और महत्वपूर्णता में कमी नहीं हुई.
भारत की 10 प्रसिद्ध साड़ियां
राज्य: तमिलनाडु
काञ्चीपुरम साड़ी:
इतिहास: इसे तमिलनाडु के काञ्चीपुरम नामक शहर से प्राप्त किया जाता है. यह विशेषतः विशेष तकनीक से बनती है और ब्राइडल विया के लिए प्रसिद्ध है.
राज्य: तमिलनाडु
बनारसी साड़ी:
इतिहास: यह वाराणसी (बनारस) के प्रसिद्ध है और इसमें रेशम और ब्यूटीफुल जरी वर्क होता है.
राज्य: उत्तर प्रदेश
पोचम्पल्ली साड़ी:
इतिहास: इसे अंध्र प्रदेश के पोचम्पल्ली गाँव से प्राप्त किया जाता है, और इसमें श्रीलंका रेशम का उपयोग होता है.
राज्य: अंध्र प्रदेश
कोलकाता साड़ी:
इतिहास: यह वेस्ट बंगाल के कोलकाता से उत्पन्न होती है और इसमें बंगाली बंधन और शाडो वेरायटी होती है.
राज्य: पश्चिम बंगाल
कोस्टुम साड़ी:
इतिहास: गुजरात के विभिन्न स्थानों से प्राप्त होने वाली यह साड़ी विविध रंगों और भारतीय डिज़ाइन के लिए प्रसिद्ध है.
राज्य: गुजरात
बंगलोर सिल्क साड़ी:
इतिहास: यह कर्नाटक के बंगलोर से प्राप्त होती है और इसमें बंगलोर सिल्क का उपयोग होता है.
राज्य: कर्नाटक
पैटु साड़ी:
इतिहास: यह तमिलनाडु के मधुरै से प्राप्त होती है और इसमें विशेष तकनीक से बनी होती है.
राज्य: तमिलनाडु
कोटा धुपटी:
इतिहास: यह राजस्थान के कोटा से प्राप्त होती है और इसमें खुदाई और इंट्रीकेट डिज़ाइन होते हैं.
राज्य: राजस्थान
कासवु साड़ी:
इतिहास: इसे केरल के कासरगोड से प्राप्त किया जाता है और इसमें शाडो वेरायटी और रेशम की भरकमी कढ़ाई होती है.
राज्य: केरल
सुपरनक्षी साड़ी:
इतिहास: इसे कर्नाटक के मैसूर से प्राप्त किया जाता है और इसमें सुपरनक्षी स्वयंवर के चित्रों की चमक होती है.
राज्य: कर्नाटक
इन साड़ियों के प्रमुख राज्यों में प्रसिद्ध होने के कारण यह विशेष वस्त्रें भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बन चुकी हैं.
Source : News Nation Bureau