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ICMR का बड़ा खुलासा, भारत में युवा वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों के लिए कोविड वैक्सीन जिम्मेदार नहीं

बीते कई समय से ये दावा किया जा रहा था कि, युवाओं में हो रही इस तरह की अस्पष्टीकृत मौते के पीछे कोरोना की रोकथाम के लिए लगाई जा रही वैक्सीन ही असल वजह है. इसी को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं ने इस हालिया अध्ययन को पूरा किया है.

Updated on: 21 Nov 2023, 11:13 PM

नई दिल्ली:

भारत में बीते कुछ सालों में युवाओं की अस्पष्टीकृत के लिए कोविड-19 टीकाकरण जिम्मेदार नहीं है, ये कहना है भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) का. दरअसल एक हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है. उल्टा ICMR का कहना है कि, इस तरह की मौतों को टीकाकरण की कम से कम एक खुराक देकर कम किया जा सकता है. गौरतलब है कि इस अध्ययन का खुलासा लोकप्रिय मलयालम टीवी अभिनेता डॉ प्रिया समेत बीते कई सालों से सामने आ रही वा वयस्कों की अचानक हृदय गति रुकने की खबर के बीच हुआ है.

मालूम हो कि बीते कई समय से ये दावा किया जा रहा था कि, युवाओं में हो रही इस तरह की अस्पष्टीकृत मौते के पीछे कोरोना की रोकथाम के लिए लगाई जा रही वैक्सीन ही असल वजह है. इसी को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं ने इस हालिया अध्ययन को पूरा करते हुए, इस दावे को सिरे से नकार दिया है. 

गौरतलब है कि ICMR ने इसे लेकर एक हालिया अध्ययन शुरू किया, जिसका शीर्षक 'भारत में 18-45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों से जुड़े कारक - एक बहुकेंद्रित मिलान केस- नियंत्रण अध्ययन' तय किया गया. इस अध्ययन में ICMR ने कुछ ऐसे कारकों का उल्लेख किया है, जो अचानक होने वाली मौतों के जोखिम को कई गुना ज्यादा बढ़ाते हैं. 

इस अध्ययन में इस तरह की अस्पष्टीकृत मौतों के पीछे तमाम वजहों का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें कोविड-19 संक्रमण का इतिहास, अत्यधिक शराब पीना, मनोरंजक दवाओं या पदार्थों का उपयोग इत्यादि चीजें शामिल हैं, जो 48 घंटों के भीतर होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार हैं. हालांकि ICMR द्वारा इस अध्ययन को पूरा कर लिया गया है, मगर अभी तक इसे जारी नहीं किया गया है. 

बता दें कि इस अध्ययन में 18-45 वर्ष की आयु के स्पष्ट रूप से स्वस्थ व्यक्तियों के मामले शामिल थे, जिनमें कोई अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या नहीं थी, हालांकि जिनकी 1 अक्टूबर, 2021 और 31 मार्च, 2023 के बीच अस्पष्ट कारणों से अचानक मृत्यु हो गई थी.

यहां बताते चलें कि, अभी कुछ समय पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने आईसीएमआर अध्ययन का हवाला देते हुए कहा था कि, जिन लोगों को पहले गंभीर रूप से कोविड का सामना करना पड़ा था, उन्हें दिल के दौरे और कार्डियक अरेस्ट से बचने के लिए एक या दो साल तक ज्यादा मेहनत नहीं करनी चाहिए.