जिद्दी और चिड़चिड़ा हो गया है बच्चा, तो ये टिप्स करेंगे पेरेंट्स की मदद

ऐसे बच्चे सामाजिक संबंधों में संघर्ष करते हैं और अपनी इच्छाओं को प्राप्त करने के लिए अधिकारीयों के साथ लड़ाई खड़ी करते हैं. जिद्दी बच्चे अक्सर नाराजगी, रोना-धोना, चिल्लाना, तनाव, और दुस्तगी जैसे व्यवहार का अनुभव कराते हैं.

ऐसे बच्चे सामाजिक संबंधों में संघर्ष करते हैं और अपनी इच्छाओं को प्राप्त करने के लिए अधिकारीयों के साथ लड़ाई खड़ी करते हैं. जिद्दी बच्चे अक्सर नाराजगी, रोना-धोना, चिल्लाना, तनाव, और दुस्तगी जैसे व्यवहार का अनुभव कराते हैं.

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Sonam Gupta
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How To Treat Stubborn Child

How To Treat Stubborn Child( Photo Credit : Social Media)

How To Treat Stubborn Child : जिद्दी बच्चा वह बच्चा होता है जो अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए जिद करता है और अक्सर अपने माता-पिता या अन्य परिवार के सदस्यों के साथ अनबन करता है. ऐसे बच्चे सामाजिक संबंधों में संघर्ष करते हैं और अपनी इच्छाओं को प्राप्त करने के लिए अधिकारीयों के साथ लड़ाई खड़ी करते हैं. जिद्दी बच्चे अक्सर नाराजगी, रोना-धोना, चिल्लाना, तनाव, और दुस्तगी जैसे व्यवहार का अनुभव कराते हैं. ऐसे बच्चों का सामाजिक और शैक्षिक विकास भी प्रभावित हो सकता है. जिद्दीता बच्चों के लिए समय-समय पर सीमाओं का पालन करने के लिए समझाना, उन्हें सहानुभूति और समर्थन प्रदान करना और सकारात्मक शाब्दिक और नैतिक संदेश देना महत्वपूर्ण होता है. साथ ही, उन्हें समय-समय पर स्थानीय संगठनों और विशेषज्ञों से सहायता लेनी चाहिए ताकि उनकी सामाजिक, शैक्षिक, और व्यक्तिगत विकास को समर्थन मिल सके. हर बात में जिद करने और चिड़चिड़ाने वाले बच्चों को सही तरीके से हैंडल करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं:

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संवेदनशीलता: बच्चे की भावनाओं को समझने और सम्मानित करने का प्रयास करें. उन्हें सुनें और उनके साथ संवाद करें ताकि आप उनकी बात समझ सकें.

स्थिरता: अपने निर्णयों पर स्थिर रहें और बच्चे के साथ निष्क्रिय न हों. उन्हें अपने कार्यों के लिए जिम्मेदारी संदेशित करें.

सीमाएं स्थापित करें: बच्चों को सीमाओं का पालन करने के लिए समय-समय पर याद दिलाएं और सीमाएं स्थापित करें.

प्रेरणा: बच्चों को सकारात्मक तरीके से प्रेरित करें. उन्हें उनकी उत्कृष्टता की प्रशंसा करें और उन्हें अच्छे कार्यों के लिए प्रोत्साहित करें.

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सामंजस्य: बच्चों को अनुभव के साथ उनके विचार साझा करने के लिए प्रोत्साहित करें. उन्हें समस्याओं का समाधान खोजने में सहायता करें.

प्रतिक्रिया: चिड़चिड़ाने के समय शांत रहें और संभलता से प्रतिक्रिया दें. उन्हें समझाएं कि इस तरह के व्यवहार का कोई समाधान नहीं है और इसे समाधान के लिए सामाजिक कौशल का उपयोग करें.

सहायता: यदि बच्चा अधिक संवेदनशील हो रहा है या उसके व्यवहार में सुधार नहीं हो रहा है, तो एक पेड़ागोगिस्ट, सलाहकार या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर की सहायता लेना उपयुक्त हो सकता है.

Source : News Nation Bureau

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