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fountain-pen-day( Photo Credit : social media)
हर साल नवंबर का पहला शुक्रवार फाउंटेन पेन डे के तौर पर मनाया जाता है. इस साल ये दिवस 3 नवंबर को आ रहा है. बता दें कि इस खास दिन की स्थापना साल 2012 में की गई थी, जो मुख्य रूप से से फाउंटेन पेन के इस्तेमाल और सामान्य तौर पर लिखने की खुशी को बढ़ावा देता है. गौरतलब है कि, इस विशेष दिवस का उद्देश्य रचनात्मक लेखन का आनंद और सुरुचिपूर्ण उपकरणों के साथ लेखन की सुंदरता का जश्न मनाना है. ऐसे में आइये इस खास दिन के इतिहास, महत्वों और इससे जुड़ी अन्य अहम जानकारी प्राप्त करें...
फाउंटेन पेन का इतिहास जानें...
फाउंटेन पेन की शुरुआत, 3,000 ईसा पूर्व से ही हो गई थी, जब प्राचीन मिस्रवासियों ने सबसे पुराने प्रकार के फाउंटेन पेन का इस्तेमाल करना शुरू किया. इस तरह के पेन को स्टाइलस कहा जाता था. स्टाइलस आमतौर पर ईख के भूसे पर कालिख और वनस्पति-गोंद आधारित स्याही डालकर लिखे जाते थे.
इन्हें "डिप पेन" के तौर पर भी पहचाना जाता था, क्योंकि स्टाइलस को स्याही में डुबोकर उपयोग में लाया जाता था. फिर तमाम शताब्दियों बाद रिजर्वायर पेन का इस्तेमाल शुरू हुआ, ये दरअसल एक तरह की पेंसिल थी, जिसमें स्याही संग्रहित करने की क्षमता थी. अगर इतिहास उठाकर देखा जाए तो, धातु लेखन कलम का उल्लेख 17वीं और 18वीं शताब्दी में वर्ष 953 में किया गया है.
क्या है इस खास दिवस का महत्व...
साल 2012 में फाउंटेनपेनडे.ओआरजी द्वारा इस विशेष फाउंटेन पेन दिवस की स्थापना की गई, जिसका महत्व लिखावट को बढ़ावा देना और रोजाना के जीवन में फाउंटेन पेन के इस्तेमाल को लेकर जागरूक करना था. खासतौर पर ये दिन उन लोगों के लिए अहम था, जिन्होंने कभी लिखा नहीं. साथ ही ये दिन उनके लिए एक मौका है, जो फाउंटेन पेन का पहले से ही उपयोग करते हैं, ताकि उन्हें अपग्रेड किया जा सके.
बता दें कि फाउंटेन पेन अभी भी कई जगह, आधिकारिक दस्तावेजों के लिए इस्तेमाल में लाए जाते हैं. भले ही आज तकनीक ने इसे प्राथमिक लेखन उपकरण के तौर पर नहीं रहने दिया है. आज के दौर में इसे स्टेटस सिंबल या फिर विलासिता की वस्तुओं के तौर पर पहचाना जाता है. मालूम हो कि, फाउंटेन पेन का उपयोग तमाम प्रकार से किया जा सकता है. खासतौर पर इसे इंक पेंटिंग, पेशेवर कला या expressive calligraphy जैसी कलमकारी में यूज किया जाता है.
Source : News Nation Bureau
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