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दूब की घास है गुणों का खजाना, जानिए इसके लाभ

दुर्वा यानी दूब की घास को हिंदू धर्म में पूजा में प्रयोग किया जाता है. खासतौर से गणेश जी के पूजन में इसे चढ़ाया जाता है लेकिन पूजन में इसका महत्व यूं ही नहीं है. इसके स्वास्थ्य के लिए तमाम लाभ हैं, तभी इसे पूजा में भी प्रयोग किया जाता है.

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Apoorv Srivastava
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dub( Photo Credit : News Nation)

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अगर हम आपको घास खाने को कहेंगे तो आप भी सोचेंगे कि हम भला ये क्या कह रहे हैं लेकिन हम किसी ऐसी-वैसी घास की बात नहीं कर रहे बल्कि बात हो रही है दुर्वा यानी दूब की घास की. दूब की घास को हिंदू धर्म में पूजा में प्रयोग किया जाता है. खासतौर से गणेश जी के पूजन में इसे चढ़ाया जाता है लेकिन पूजन में इसका महत्व यूं ही नहीं है. इसके स्वास्थ्य के लिए तमाम लाभ हैं, तभी इसे पूजा में भी प्रयोग किया जाता है तो चलिए बात करते हैं, इसके फायदों की. 

आयुर्वेद के अनुसार दूब की घास त्वचा संबंधी रोगों में बेहद लाभकारी होती है. वैज्ञानिक भी मानते हैं कि इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी सेप्टिक गुणों की वजह से त्वचा संबंधी समस्याओं में लाभ होता है. इसे खाने से खुजली, एक्जिमा और चकत्ते आदि में लाभ होता है. इसका हल्दी संग पेस्ट बनाकर भी त्वचा पर लगाया जा सकता है. 

इसके अलावा आजकल एनीमिया की समस्या आम हो चुकी है. इस बीमारी में दूब की घास रामबाण इलाज है. दूब की घास का रस पीने से बहुत लाभ होता है. यह हीमोग्लोबीन भी बढ़ाता है औऱ लाल रक्त कोशिकाओं को भी. इसीलिए दूब की घास के हरा खून भी कहते हैं. इसके अलावा दूब की पत्तियों को पानी में उबालकर उससे कुल्ला करें तो मुंह के छाले में लाभ होता है. यही नहीं दूब की घास शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम भी करती है. इसमें मौजूद एंटीवायरल और एंटीमाइक्रोबिल गुण बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं. दूब की घास थकान, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं का भी समाधान करती है. डिप्रेशन और टेंशन जैसी मानसिक समस्याओं में भी दूब की घास बहुत लाभकारी है.  

इसके अलावा नाक से खून आने पर ताजी और हरी दूब की घास के रस 2-2 बूंद नाक के नथुनों में टपकाने से नाक से खून आना बंद हो जाता है. यही नहीं, सिर दर्द में भी यह बेहद लाभकारी है. इसके अलावा जौ को दूब के रस में घोंटकर सिर में मलने से सिरदर्द दूर हो जाता है. दूब को खाने के अलावा एक और लाभ है जो बेहद कमाल का है. दूब की घास पर सुबह नंगे पैर चलने से आंखों की रोशनी तेज होती है. दावा तो यहां तक किया जाता है कि अगर आपको चश्मा लगा है तो सुबह-सुबह दूब की घास पर नंगे पैर चलने से चश्मे का नंबर भी कम हो जाता है. हालांकि इसमें ध्यान रखना चाहिए, दूब की घास पर ओस हो तो यह ज्यादा फायदा करता है. वहीं, यदि किसी को मलेरिया हो गया है तो दूध के रस में अतीस के चूर्ण को मिलाकर दिन में 2-3 बार चटाने से काफी लाभ मिलता है. 

 

HIGHLIGHTS

  • दूब की घास रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है
  • खुजली, एक्जिमा, एनीमिया में होता है लाभ
  • तनाव, थकान और अनिद्रा को करती है दूर
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