12 साल से ज्यादा हो गई है बच्चों की उम्र तो इन बातों का रखें ध्यान
पहले बच्चे दादा-दादी और आसपास से बहुत सी चीजें सीखते थे, जो अब सिंगल फैमिली में संभव नहीं. ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. खासतौर से किशोर अवस्था में यानी 12-13 साल की उम्र के बाद बच्चों को कुछ चीजें सिखाना और ध्यान रखना बहुत जरूरी है.
नई दिल्ली :
आज के बदलते माहौल में बच्चों की पेरेंटिंग के तरीके बदलते जा रहे हैं. पहले बच्चे दादा-दादी और आसपास से बहुत सी चीजें सीखते थे, जो अब सिंगल फैमिली में संभव नहीं. ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. खासतौर से किशोर अवस्था में यानी 12-13 साल की उम्र के बाद बच्चों को कुछ चीजें सिखाना और ध्यान रखना बहुत जरूरी है. सबसे बड़ी बात की अच्छी पेरेंटिंग के अभाव में टीनएज में बच्चे बहुत सी गलतियां करने लगते हैं, जिसका अहसास उन्हें बहुत देर में आता है. अगर पेरेंट्स ध्यान दें तो बच्चे बहुत पहले ही इन दिक्कतों से बच सकते हैं. ये हैं कुछ जरूरी बातें
इमोशनल इंटेलिजेंसः किशोर अवस्था में बच्चों के इमोशंस बदलने लगते हैं. ऐसे में जरूरी है कि प्यार, गुस्सा, आक्रोश जैसे इमोशंस को कैसे हैंडल करें और उन्हें निगेटिव नहीं पॉजिटिव तरीके से एक्सप्रेस करें.
शिष्टाचारः ध्यान रखें किशोर अवस्था में बच्चे न तो बहुत बड़े होते हैं ना ही बहुत छोटे. ऐसे में बच्चों में शिष्टाचार की समझ बहुत जरूरी है. शिष्टाचार के सामान्य नियम सीखने की यही उम्र होती है.
सम्मान देना सीखें: छोटे बच्चों की हर जिद पूरी की जाती है लेकिन बड़े होते बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि सामने वाले की बात को भी समझें. दूसरों को भी सम्मान दें.
घरेलू काम भी सिखाएं: बच्चों को घर के कामों में इन्वाल्व करें. घर के काम सीखने से बच्चे जल्द जिम्मेदार बनते हैं और आगे की जिंदगी में उन्हें परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता.
दोस्ती का सलीकाः बच्चे इस उम्र में हैं कि उन्हें घर से ज्यादा दोस्त इंपोर्टेंट लगते हैं. ऐसे में जरूरी है कि उनकी दोस्ती किससे हो रही है, इस पर भी ध्यान दिया जाए और उन्हें भी समझाया जाए कि अच्छे दोस्त कैसे चुनें और कैसे दोस्ती निभाएं.
नियमित दिनचर्याः किशोर अवस्था में बच्चों का रुटीन कई बार गड़बड़ होने लगता है. उन्हें ये बात सिखाना जरूरी है कि कैसे रुटीन सेट करें, रोज एक्सरसाइज करना और हेल्थी फूड खाना कितना इंपोर्टमेंट है.
अपना ध्यान रखनाः बच्चे ऐसी उम्र की ओर बढ़ने लगते हैं जहां पढ़ाई, करियर और दोस्तों के बीच खुद को समय देना भूल ही जाते हैं. उन्हें ये सिखाना बहुत जरूरी है कि खुद का भी ध्यान रखें. आगे चलकर खुद की केयर, खुद ही करनी होगी.
बच्चों से अपनापन शो करें: इस उम्र में बच्चों में हार्मोंस चेंज होते हैं. कई बार इसकी वजह से वह चिड़चिड़ापन और अकेलापन स्वभाव में आने लगता है. ऐसे में बच्चों को पेरेंट्स के अपनेपन की बहुत जरूरत होती है.
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